UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 बैंक समाधान विवरण

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 बैंक समाधान विवरण

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बहुविकल्पीय प्रश्न ( 1 अंक)
                   

प्रश्न 1.
बैंक समाधान विवरण किसके द्वारा बनाया जाता है?
(a) व्यापारी
(b) बैंक
(c) देनदार
(d) लेनदार
उत्तर:
(a) व्यापारी

प्रश्न 2.
बैंक समाधान विवरण तैयार किया जाता है?
(a) रोकड़ पुस्तक के बैंक कॉलम शेष से
(b) रोकड़ पुस्तक के रोकड़ कॉलम शेष से
(c) रोकड़ पुस्तक के बैंक कॉलम शेष यो पास बुक के शेष से
(d) पास बुक के शेष से
उत्तर:
(c) रोकड़ पुस्तक के बैंक कॉलम शेष या पास बुक के शेष से

प्रश्न 3.
बैंक समाधान विवरण तैयार किया जाता है
(a) व्यापारी की इच्छानुसार
(b) अन्तिम खाते बनाने से पूर्व
(c) अन्तिम खाते बनाने के पश्चात्
(d) छमाही
उत्तर:
(d) व्यापारी की इच्छानुसार

प्रश्न 4.
बैंक अधिविकर्ष होता है।
(a) जब ग्राहक का रुपया बैंक में जमा होता है।
(b) जब बैंक ग्राहक को उसकी जमा राशि से अधिक रुपया ऋण के रूप में दे देता है।
(c) जब ग्राहक खाता बन्द कर देता है।
(d) उपरोक्त तीनों कथन सत्य हैं।
उत्तर:
(b) जब बैंक ग्राहक को उसकी जमा राशि से अधिक रुपया ऋण के रूप में दे देता है।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
रोकड़ पुस्तक और पास बुक के शेषों का मिलान करने के लिए तैयार किए जाने वाले विवरण का नाम लिखिए। (2014)
उत्तर:
बैंक समाधान विवरण

प्रश्न 2.
बैंक समाधान विवरण में कितने खाने होते हैं?
उत्तर:
तीन खाने

प्रश्न 3.
रोकड़ बही में ओवरड्राफ्ट (अधिविकर्ष) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर;
रोकड़ बही का क्रेडिट शेष

प्रश्न 4.
बैंक पास बुक का कौन-सा शेष अधिविकर्ष कहलाता है?
उत्तर:
ऋणी शेष

प्रश्न 5.
रोकड़ बही का डेबिट शेष क्या दर्शाता है?
उत्तर:
नकद रोकड़

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न  (2अंक)

प्रश्न 1.
बैंक समाधान विवरण क्या है?
उत्तर:
बैंक द्वारा ग्राहक के लिए प्रकट की गई बाकी और ग्राहक की रोकड़ पुस्तक में आई हुई बाकी का मिलान करने के लिए जो विवरण-पत्र बनाया जाता है, उसे बैंक समाधान विवरण’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
रोकड़ बही एवं बैंक पास बुक में अन्तर के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
रोकड़ बही एवं बैंक पास बुक में अन्तर के दो कारण निम्नलिखित

  1. चैक निर्गमित किए गए, परन्तु भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं हुए।
  2. चैक बैंक में वसूली के लिए भेजे, जो अभी तक वसूल नहीं हुए।

लघु उत्तरीय प्रश्न  (4 अंक)

प्रश्न 1.
बैंक समाधान विवरण क्या है? यह क्यों तैयार किया जाता है? (2016, 11)
अथवा
बैंक समाधान विवरण से आप क्या समझते हैं? एक व्यापारी के द्वारा यह विवरण बनाया जाना क्यों आवश्यक है? (2007)
अथवा
बैंक समाधान विवरण बनाने के मुख्य उद्देश्यों को बताइए। (2008)
उत्तर:
बैंक समाधान विवरण का अर्थ
1. बैंक समाधान विवरण से आशय बैंक द्वारा ग्राहक के लिए प्रकट की गई बाकी और ग्राहक की रोकड़ पुस्तक में आई हुई बाकी का मिलान करने के लिए जो विवरण-पत्र बनाया जाता है, उसे बैंक समाधान विवरण’ कहा जाता है। रोकड़ पुस्तक की बैंक शेष तथा पास बुक की बैंक शेष में अन्तर के कारण व्यवसायी की रोकड़ पुस्तक के बैंक शेष एवं पास बुक के बैंक शेष में अन्तर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं1. अस्वीकृत चैक या विपत्र बैंक चैक या विपत्र की राशि अन्तिम रूप से खाते में तब ही जमा करता है, जब राशि लेनदारों से वसूल हो जाती है, लेकिन व्यापारी इस प्रकार के चैकों तथा विपत्रों की राशि को रोकड़ पुस्तक की बैंक बाकी में तभी लिख देता हैं, जब वह बैंक को चैक वसूली के लिए भेजता है, जिसके कारण दोनों शेषों में अन्तर आ जाता है।

2. पास बुक में की गई अशुद्धि कई बार बैंक भूल से ग्राहक के खाते में कोई अशुद्ध प्रविष्टि कर देता है, जिसके कारण पास बुक व रोकड़ बही के शेषों में अन्तर आ जाता है।

3. चैक निर्गमित किए गए, परन्तु बैंक समाधान विवरण बनाने के समय तक भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं हुए जिस समय व्यापारी अपने किसी लेनदार को चैक काटकर देता है, तो वह उसी समय इसकी प्रविष्टि अपनी रोकड़ बही के बैंक खाते के धनी पक्ष में कर देता है। यदि बैंक समाधान विवरण की तिथि तक वह लेनदार इस चैक को बैंक में भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं करता है, तो पास बुक में ऐसे चैकों की कोई प्रविष्टि नहीं हो पाती है, जिसके कारण व्यापारी की रोकड़ बही का शेष कम हो जाता है, परन्तु पास बुक का शेष कम नहीं होता है।

4. ग्राहक के आदेशानुसार भुगतान करना बैंक अपने ग्राहक के आदेश के बिना कभी-कभी कुछ भुगतान कर देता है; जैसे—बीमा की किस्त, चन्दा, देय बिल, आदि। इनको लेखा बैंक भुगतान करते समय ही पास बुक में कर देता है, परन्तु ग्राहक इसको लेखा अपनी रोकड़ बही में सूचना प्राप्त होने पर ही करता है।

5. कुछ लिपिकीय अशुद्धियाँ रोकड़ बही या पास बुक में रकम लिखने या शेष निकालने में कोई लिपिकीय अशुद्धि हो जाती है, तो ऐसी दशा में भी दोनों पुस्तकों की बाकियों में अन्तर हो जाता है।

6. क्रेडिट शेष पर बैंक द्वारा दिया गया ब्याज जब बैंक अपने ग्राहक को जमा राशि पर ब्याज देता है, तो वह नकद न देकर यह राशि उसके खाते में जमा कर देता है। इस तरह बैंक पास बुक का शेष बढ़ जाता है, जबकि ग्राहक/व्यापारी को इसका पता बाद में ही चल पाता है।

7. चैक निर्गमित किए, लेकिन रोकड़ बही में उनका लेखा होने से छूट गया कभी-कभी व्यापारी अपने लेनदार को चैक काटकर दे देता है, लेकिन वह रोकड़ बही में चैक का लेखा करना भूल जाता है। अत: चैक का भुगतान होने के पश्चात् रोकड़ बही और पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

8. वसूली के लिए चैक जमा किए गए, परन्तु अभी तक वसूल नहीं हुए व्यापारी को जब भुगतान में या अपने देनदार से चैक प्राप्त होते हैं, तो वह इसे वसूली के लिए बैंक में भेज देता है तथा बैंक का शेष उतनी ही रकम से बढ़ा लेता है, लेकिन वास्तव में बैंक अपने ग्राहक के खाते अर्थात् पास बुक का शेष उस समय तक नहीं बढ़ाती जब तक कि वह उन चैकों का भुगतान वसूल नहीं कर लेता है। इस प्रकार, रोकड़े बही के बैंक खाने का शेष बढ़ जाता है, जबकि पास बुक में यह उतना ही बना रहता है।

9. विनियोगों पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश समय-समय पर बैंक अपने ग्राहकों से विनियोगों पर ब्याज व लाभांश वसूल करता रहता है, लेकिन ग्राहकों को इसकी सूचना नहीं होती है, जिसके कारण इसकी रोकड़ बही में प्रविष्टि नहीं हो पाती है

10. अवधि से पूर्व विपत्र के भुगतान पर छूट जब व्यापारी के पास देय बिल की अवधि से पहले ही धनराशि की व्यवस्था हो जाती है, तो वह बैंक को अपने द्वारा स्वीकृत बिल का भुगतान कर सकता है। इस स्थिति में बैंक अपने व्यापारी को इस अवधि के लिए कुछ छूट प्रदान करता है, जिससे व्यापारी का खाता धनी कर दिया जाता है। अत: रोकड़ बही एवं पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

11. रकम जो बैंक द्वारा वसूल की गई बैंक ग्राहकों की ओर से कुछ भुगतान प्राप्त कर लेता है; जैसे-ब्याज, लाभांश एवं प्राप्य बिल, आदि। इनका लेखा बैंक द्वारा पास बुक में तो रकम प्राप्त होते ही कर दिया जाता है, लेकिन ग्राहक बैंक से कोई सूचना प्राप्त न होने के कारण रोकड़ बही में इसको लेखा नहीं कर पाती है।

12. व्यापारी या ग्राहकों द्वारा सीधे चैक या धनराशि बैंक में जमा करना ग्राहकों द्वारा अपने लेनदारों के खातों में धनराशि को जमा कर दिया जाता है, परन्तु इसकी सूचना व्यापारी को देर से हो पाती है। जिसके कारण पास बुक का शेष तो बढ़ जाता है, परन्तु रोकड़ बही का शेष पूर्ववत् ही रहता है।

बैंक समाधान विवरण के उद्देश्य

बैंक समाधान विवरण का अर्थ  बैंक समाधान विवरण की उपयोगिता/उद्देश्य बैंक समाधान विवरण का बनाया जाना वैसे तो आवश्यक या अनिवार्य नहीं है, परन्तु फिर भी निम्नलिखित उपयोगिताओं/उद्देश्यों/महत्त्व के लिए इसे बनाया जाता है|

1. रोकड़ बही में उचित संशोधन रोकड़ बही तथा पास बुक का मिलान करने से रोकड़ बही में उपयुक्त संशोधन करना सम्भव हो जाता है। यदि बैंक की पास बुक में ब्याज, बैंक-व्यय, ग्राहकों से रकम तथा चैकों की सीधी प्राप्ति, आदि के लेखे किए हुए हैं, तो रोकड़ बही में इनकी प्रविष्टियाँ करके संशोधित रोकड़ बही तैयार की जाती है।

2. त्रुटि को दूर करना यदि रोकड़ बही या पास बुक में लेखा करते समय कोई भूल या त्रुटि हो गई है, तो दोनों पुस्तकों का मिलान करके त्रुटि को ज्ञात करना और उसे दूर करना सरल हो जाता है।

3. भविष्य में चैक जारी करना बैंक समाधान विवरण तैयार करने से व्यापारी को बैंक शेष की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है, जिससे उसे भविष्य में चैक जारी करने में सुविधा होती है।

4. भूल-चूक का ज्ञान यदि व्यापारी और बैंक के द्वारा लेन-देन का लेखा करने में कोई भूल-चूक हो गई है, तो इसका ज्ञान बैंक समाधान विवरण द्वारा हो जाती है।

5. चैक वसूली में अनावश्यक देरी का ज्ञान बैंक समाधान विवरण से बैंक द्वारा चैकों की वसूली करने में हुई अनावश्यक देरी की जानकारी प्राप्त हो जाती है।

6. अन्तर के कारणों का ज्ञान होना पास बुक और रोकड़ पुस्तक के शेष में अन्तर के कारण भी बैंक समाधान विवरण द्वारा ज्ञात हो जाते हैं।

बैंक समाधान विवरण बनाने की विधि/बैंक समाधान विवरण तैयार करना बैंक समाधान विवरण निम्नलिखित दो प्रकार के शेषों को लेकर बनाया जा सकता है

1. रोकड़ बही के शेष द्वारा रोकड़ पुस्तक के बैंक खाते का शेष दो प्रकार का हो सकता है-एक ऋणी शेष, जो बैंक में धनराशि जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा धनी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति बताता है।

(i) रोकड़ बही के ऋणी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में जोड़ दिया जाता है

  1. चैक निर्गमित किए गए, लेकिन भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत ही नहीं किए गए।
  2. बैंक द्वारा व्यापारी को दिया गया ब्याज।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से प्राप्त किया गया कोई भुगतान।
  4. किसी ग्राहक द्वारा सीधे बैंक में धनराशि जमा कर देना।
  5. चैक, जो रोकड़ बही में बिना लेखा किए बैंक में भेज दिए गए।

जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में से घटा दिया जाता है

  1. चैक जो वसूली के लिए जमा किए गए, परन्तु अभी वसूल नहीं हुए।
  2. बैंक चार्जेज या बैंक व्यय।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से किया गया कोई भुगतान।
  4. संग्रह के लिए भेजे गए चैक या बिल जो तिरस्कृत हो गए।
  5. चैक जो रोकड़ बही में लिख दिए गए, लेकिन बैंक में वसूली के लिए भेजने से रह गए।

(ii) रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा विवरण तैयार करने में ऋणी शेष में जुड़ने वाली ” मदों को घटाया जाता है और घटाई जाने वाली मदों को जोड़ा जाता है।

2. पास बुक के शेष द्वारा रोकड़ बही की भाँति पास बुक का शेष भी दो प्रकार का हो सकता है-एक धनी शेष, जो बैंक में धन जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा ऋणी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति को बताता है। जब बैंक समाधान विवरण पास बुक के धनी शेष द्वारा बनाया जाता है, तो उपरोक्त विधि के अन्तर्गत जोड़ी जाने वाली मदों को घटाकर दिखाते हैं। तथा घटाई जाने वाली मदों को जोड़ते हैं। इसके विपरीत जब पास बुक के ऋणी शेष या अधिविकर्ष द्वारा बैंक समाधान विवरण तैयार किया जाता है, तो उपरोक्त जोड़ी जाने वाली मदों को इसमें जोड़कर तथा घटाई जाने वाली मदों को घटाकर दिखाया जाता

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दावलियों की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।

  1. अधिविकर्ष
  2. पास बुक (2007)

उत्तर:
1. अधिविकर्ष बैंक अपने चालू खाताधारकों को एक विशेष सुविधा प्रदान करता है कि यदि वे चाहें तो आवश्यकता के समय अपनी जमा की हुई धनराशि से अधिक धनराशि बैंक से निकाल सकते हैं। यह सुविधा बैंक अधिविकर्ष’ कहलाती है। इसमें व्यापारी बैंक का ऋणी और बैंक व्यापार का ऋणदाता बन जाता है। उदाहरण-यदि बैंक में ₹ 2,00,000 जमा हों और व्यापारी ₹ 2,50,000 निकाल लेता है, तो ₹ 2,50,000 – ₹ 2,00,000 = ₹ 50,000 का अधिविकर्ष कहलाता है।

2. पास बुक यह एक छोटी-सी पुस्तक होती है, जिसमें ग्राहक व बैंक के बीच हए सभी लेन-देनों का लेखा किया जाता है। यह बैंक की पुस्तकों में खुले ग्राहक के खाते की प्रतिलिपि होती है। इसमें बैंक में धनराशि जमा कराने, धनराशि निकालने तथा ब्याज, आदि का तिथि के साथ विवरण दिया जाता है। उदाहरण-
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 1

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  (8 अंक)

प्रश्न 1.
बैंक समाधान विवरण क्या है? रोकड़ शेष और पास बुक के शेष में अन्तर के आठ कारणों का उल्लेख कीजिए।  (Imp 2007)
अथवा
किसी निश्चित तिथि पर पास बुक तथा रोकड़ पुस्तक के शेषों में अन्तर होने के क्या-क्या कारण होते हैं? वर्णन कीजिए। (2011)
उत्तर:
1. बैंक समाधान विवरण से आशय बैंक द्वारा ग्राहक के लिए प्रकट की गई बाकी और ग्राहक की रोकड़ पुस्तक में आई हुई बाकी का मिलान करने के लिए जो विवरण-पत्र बनाया जाता है, उसे बैंक समाधान विवरण’ कहा जाता है। रोकड़ पुस्तक की बैंक शेष तथा पास बुक की बैंक शेष में अन्तर के कारण व्यवसायी की रोकड़ पुस्तक के बैंक शेष एवं पास बुक के बैंक शेष में अन्तर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं1. अस्वीकृत चैक या विपत्र बैंक चैक या विपत्र की राशि अन्तिम रूप से खाते में तब ही जमा करता है, जब राशि लेनदारों से वसूल हो जाती है, लेकिन व्यापारी इस प्रकार के चैकों तथा विपत्रों की राशि को रोकड़ पुस्तक की बैंक बाकी में तभी लिख देता हैं, जब वह बैंक को चैक वसूली के लिए भेजता है, जिसके कारण दोनों शेषों में अन्तर आ जाता है।

2. पास बुक में की गई अशुद्धि कई बार बैंक भूल से ग्राहक के खाते में कोई अशुद्ध प्रविष्टि कर देता है, जिसके कारण पास बुक व रोकड़ बही के शेषों में अन्तर आ जाता है।

3. चैक निर्गमित किए गए, परन्तु बैंक समाधान विवरण बनाने के समय तक भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं हुए जिस समय व्यापारी अपने किसी लेनदार को चैक काटकर देता है, तो वह उसी समय इसकी प्रविष्टि अपनी रोकड़ बही के बैंक खाते के धनी पक्ष में कर देता है। यदि बैंक समाधान विवरण की तिथि तक वह लेनदार इस चैक को बैंक में भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं करता है, तो पास बुक में ऐसे चैकों की कोई प्रविष्टि नहीं हो पाती है, जिसके कारण व्यापारी की रोकड़ बही का शेष कम हो जाता है, परन्तु पास बुक का शेष कम नहीं होता है।

4. ग्राहक के आदेशानुसार भुगतान करना बैंक अपने ग्राहक के आदेश के बिना कभी-कभी कुछ भुगतान कर देता है; जैसे बीमा की किस्त, चन्दा, देय बिल, आदि। इनको लेखा बैंक भुगतान करते समय ही पास बुक में कर देता है, परन्तु ग्राहक इसको लेखा अपनी रोकड़ बही में सूचना प्राप्त होने पर ही करता है।

5. कुछ लिपिकीय अशुद्धियाँ रोकड़ बही या पास बुक में रकम लिखने या शेष निकालने में कोई लिपिकीय अशुद्धि हो जाती है, तो ऐसी दशा में भी दोनों पुस्तकों की बाकियों में अन्तर हो जाता है।

6. क्रेडिट शेष पर बैंक द्वारा दिया गया ब्याज जब बैंक अपने ग्राहक को जमा राशि पर ब्याज देता है, तो वह नकद न देकर यह राशि उसके खाते में जमा कर देता है। इस तरह बैंक पास बुक का शेष बढ़ जाता है, जबकि ग्राहक/व्यापारी को इसका पता बाद में ही चल पाता है।

7. चैक निर्गमित किए, लेकिन रोकड़ बही में उनका लेखा होने से छूट गया कभी-कभी व्यापारी अपने लेनदार को चैक काटकर दे देता है, लेकिन वह रोकड़ बही में चैक का लेखा करना भूल जाता है। अत: चैक का भुगतान होने के पश्चात् रोकड़ बही और पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

8. वसूली के लिए चैक जमा किए गए, परन्तु अभी तक वसूल नहीं हुए व्यापारी को जब भुगतान में या अपने देनदार से चैक प्राप्त होते हैं, तो वह इसे वसूली के लिए बैंक में भेज देता है तथा बैंक का शेष उतनी ही रकम से बढ़ा लेता है, लेकिन वास्तव में बैंक अपने ग्राहक के खाते अर्थात् पास बुक का शेष उस समय तक नहीं बढ़ाती जब तक कि वह उन चैकों का भुगतान वसूल नहीं कर लेता है। इस प्रकार, रोकड़े बही के बैंक खाने का शेष बढ़ जाता है, जबकि पास बुक में यह उतना ही बना रहता है।

9. विनियोगों पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश समय-समय पर बैंक अपने ग्राहकों से विनियोगों पर ब्याज व लाभांश वसूल करता रहता है, लेकिन ग्राहकों को इसकी सूचना नहीं होती है, जिसके कारण इसकी रोकड़ बही में प्रविष्टि नहीं हो पाती है

10. अवधि से पूर्व विपत्र के भुगतान पर छूट जब व्यापारी के पास देय बिल की अवधि से पहले ही धनराशि की व्यवस्था हो जाती है, तो वह बैंक को अपने द्वारा स्वीकृत बिल का भुगतान कर सकता है। इस स्थिति में बैंक अपने व्यापारी को इस अवधि के लिए कुछ छूट प्रदान करता है, जिससे व्यापारी का खाता धनी कर दिया जाता है। अत: रोकड़ बही एवं पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

11. रकम जो बैंक द्वारा वसूल की गई बैंक ग्राहकों की ओर से कुछ भुगतान प्राप्त कर लेता है; जैसे-ब्याज, लाभांश एवं प्राप्य बिल, आदि। इनका लेखा बैंक द्वारा पास बुक में तो रकम प्राप्त होते ही कर दिया जाता है, लेकिन ग्राहक बैंक से कोई सूचना प्राप्त न होने के कारण रोकड़ बही में इसको लेखा नहीं कर पाती है।

12. व्यापारी या ग्राहकों द्वारा सीधे चैक या धनराशि बैंक में जमा करना ग्राहकों द्वारा अपने लेनदारों के खातों में धनराशि को जमा कर दिया जाता है, परन्तु इसकी सूचना व्यापारी को देर से हो पाती है। जिसके कारण पास बुक का शेष तो बढ़ जाता है, परन्तु रोकड़ बही का शेष पूर्ववत् ही रहता है।

प्रश्न 2.
बैंक समाधान विवरण क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है? इसको बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
बैंक समाधान विवरण का अर्थ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 देखें। बैंक समाधान विवरण की उपयोगिता/उद्देश्य बैंक समाधान विवरण का बनाया जाना वैसे तो आवश्यक या अनिवार्य नहीं है, परन्तु फिर भी निम्नलिखित उपयोगिताओं/उद्देश्यों/महत्त्व के लिए इसे बनाया जाता है|

1. रोकड़ बही में उचित संशोधन रोकड़ बही तथा पास बुक का मिलान करने से रोकड़ बही में उपयुक्त संशोधन करना सम्भव हो जाता है। यदि बैंक की पास बुक में ब्याज, बैंक-व्यय, ग्राहकों से रकम तथा चैकों की सीधी प्राप्ति, आदि के लेखे किए हुए हैं, तो रोकड़ बही में इनकी प्रविष्टियाँ करके संशोधित रोकड़ बही तैयार की जाती है।

2. त्रुटि को दूर करना यदि रोकड़ बही या पास बुक में लेखा करते समय कोई भूल या त्रुटि हो गई है, तो दोनों पुस्तकों का मिलान करके त्रुटि को ज्ञात करना और उसे दूर करना सरल हो जाता है।

3. भविष्य में चैक जारी करना बैंक समाधान विवरण तैयार करने से व्यापारी को बैंक शेष की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है, जिससे उसे भविष्य में चैक जारी करने में सुविधा होती है।

4. भूल-चूक का ज्ञान यदि व्यापारी और बैंक के द्वारा लेन-देन का लेखा करने में कोई भूल-चूक हो गई है, तो इसका ज्ञान बैंक समाधान विवरण द्वारा हो जाती है।

5. चैक वसूली में अनावश्यक देरी का ज्ञान बैंक समाधान विवरण से बैंक द्वारा चैकों की वसूली करने में हुई अनावश्यक देरी की जानकारी प्राप्त हो जाती है।

6. अन्तर के कारणों का ज्ञान होना पास बुक और रोकड़ पुस्तक के शेष में अन्तर के कारण भी बैंक समाधान विवरण द्वारा ज्ञात हो जाते हैं।

बैंक समाधान विवरण बनाने की विधि/बैंक समाधान विवरण तैयार करना बैंक समाधान विवरण निम्नलिखित दो प्रकार के शेषों को लेकर बनाया जा सकता है

1. रोकड़ बही के शेष द्वारा रोकड़ पुस्तक के बैंक खाते का शेष दो प्रकार का हो सकता है-एक ऋणी शेष, जो बैंक में धनराशि जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा धनी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति बताता है।

(i) रोकड़ बही के ऋणी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में जोड़ दिया जाता है

  1. चैक निर्गमित किए गए, लेकिन भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत ही नहीं किए गए।
  2. बैंक द्वारा व्यापारी को दिया गया ब्याज।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से प्राप्त किया गया कोई भुगतान।
  4. किसी ग्राहक द्वारा सीधे बैंक में धनराशि जमा कर देना।
  5. चैक, जो रोकड़ बही में बिना लेखा किए बैंक में भेज दिए गए।

जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में से घटा दिया जाता है

  1. चैक जो वसूली के लिए जमा किए गए, परन्तु अभी वसूल नहीं हुए।
  2. बैंक चार्जेज या बैंक व्यय।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से किया गया कोई भुगतान।
  4. संग्रह के लिए भेजे गए चैक या बिल जो तिरस्कृत हो गए।
  5. चैक जो रोकड़ बही में लिख दिए गए, लेकिन बैंक में वसूली के लिए भेजने से रह गए।

(ii) रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा विवरण तैयार करने में ऋणी शेष में जुड़ने वाली ” मदों को घटाया जाता है और घटाई जाने वाली मदों को जोड़ा जाता है।

2. पास बुक के शेष द्वारा रोकड़ बही की भाँति पास बुक का शेष भी दो प्रकार का हो सकता है-एक धनी शेष, जो बैंक में धन जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा ऋणी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति को बताता है। जब बैंक समाधान विवरण पास बुक के धनी शेष द्वारा बनाया जाता है, तो उपरोक्त विधि के अन्तर्गत जोड़ी जाने वाली मदों को घटाकर दिखाते हैं। तथा घटाई जाने वाली मदों को जोड़ते हैं। इसके विपरीत जब पास बुक के ऋणी शेष या अधिविकर्ष द्वारा बैंक समाधान विवरण तैयार किया जाता है, तो उपरोक्त जोड़ी जाने वाली मदों को इसमें जोड़कर तथा घटाई जाने वाली मदों को घटाकर दिखाया जाता

प्रश्न 3.
बैंक समाधान विवरण क्या है? यह क्यों बनाया जाता है? रोकड़ बही के शेष और पास बुक के शेष में अन्तर के किन्हीं छः कारणों का उल्लेख कीजिए। (2008)
उत्तर:
बैंक समाधान विवरण का अर्थ
बैंक समाधान विवरण से आशय बैंक द्वारा ग्राहक के लिए प्रकट की गई बाकी और ग्राहक की रोकड़ पुस्तक में आई हुई बाकी का मिलान करने के लिए जो विवरण-पत्र बनाया जाता है, उसे बैंक समाधान विवरण’ कहा जाता है। रोकड़ पुस्तक की बैंक शेष तथा पास बुक की बैंक शेष में अन्तर के कारण व्यवसायी की रोकड़ पुस्तक के बैंक शेष एवं पास बुक के बैंक शेष में अन्तर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. अस्वीकृत चैक या विपत्र बैंक चैक या विपत्र की राशि अन्तिम रूप से खाते में तब ही जमा करता है, जब राशि लेनदारों से वसूल हो जाती है, लेकिन व्यापारी इस प्रकार के चैकों तथा विपत्रों की राशि को रोकड़ पुस्तक की बैंक बाकी में तभी लिख देता हैं, जब वह बैंक को चैक वसूली के लिए भेजता है, जिसके कारण दोनों शेषों में अन्तर आ जाता है।

2. पास बुक में की गई अशुद्धि कई बार बैंक भूल से ग्राहक के खाते में कोई अशुद्ध प्रविष्टि कर देता है, जिसके कारण पास बुक व रोकड़ बही के शेषों में अन्तर आ जाता है।

3. चैक निर्गमित किए गए, परन्तु बैंक समाधान विवरण बनाने के समय तक भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं हुए जिस समय व्यापारी अपने किसी लेनदार को चैक काटकर देता है, तो वह उसी समय इसकी प्रविष्टि अपनी रोकड़ बही के बैंक खाते के धनी पक्ष में कर देता है। यदि बैंक समाधान विवरण की तिथि तक वह लेनदार इस चैक को बैंक में भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं करता है, तो पास बुक में ऐसे चैकों की कोई प्रविष्टि नहीं हो पाती है, जिसके कारण व्यापारी की रोकड़ बही का शेष कम हो जाता है, परन्तु पास बुक का शेष कम नहीं होता है।

4. ग्राहक के आदेशानुसार भुगतान करना बैंक अपने ग्राहक के आदेश के बिना कभी-कभी कुछ भुगतान कर देता है; जैसे—बीमा की किस्त, चन्दा, देय बिल, आदि। इनको लेखा बैंक भुगतान करते समय ही पास बुक में कर देता है, परन्तु ग्राहक इसको लेखा अपनी रोकड़ बही में सूचना प्राप्त होने पर ही करता है।

5. कुछ लिपिकीय अशुद्धियाँ रोकड़ बही या पास बुक में रकम लिखने या शेष निकालने में कोई लिपिकीय अशुद्धि हो जाती है, तो ऐसी दशा में भी दोनों पुस्तकों की बाकियों में अन्तर हो जाता है।

6. क्रेडिट शेष पर बैंक द्वारा दिया गया ब्याज जब बैंक अपने ग्राहक को जमा राशि पर ब्याज देता है, तो वह नकद न देकर यह राशि उसके खाते में जमा कर देता है। इस तरह बैंक पास बुक का शेष बढ़ जाता है, जबकि ग्राहक/व्यापारी को इसका पता बाद में ही चल पाता है।

7. चैक निर्गमित किए, लेकिन रोकड़ बही में उनका लेखा होने से छूट गया कभी-कभी व्यापारी अपने लेनदार को चैक काटकर दे देता है, लेकिन वह रोकड़ बही में चैक का लेखा करना भूल जाता है। अत: चैक का भुगतान होने के पश्चात् रोकड़ बही और पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

8. वसूली के लिए चैक जमा किए गए, परन्तु अभी तक वसूल नहीं हुए व्यापारी को जब भुगतान में या अपने देनदार से चैक प्राप्त होते हैं, तो वह इसे वसूली के लिए बैंक में भेज देता है तथा बैंक का शेष उतनी ही रकम से बढ़ा लेता है, लेकिन वास्तव में बैंक अपने ग्राहक के खाते अर्थात् पास बुक का शेष उस समय तक नहीं बढ़ाती जब तक कि वह उन चैकों का भुगतान वसूल नहीं कर लेता है। इस प्रकार, रोकड़े बही के बैंक खाने का शेष बढ़ जाता है, जबकि पास बुक में यह उतना ही बना रहता है।

9. विनियोगों पर प्राप्त ब्याज एवं लाभांश समय-समय पर बैंक अपने ग्राहकों से विनियोगों पर ब्याज व लाभांश वसूल करता रहता है, लेकिन ग्राहकों को इसकी सूचना नहीं होती है, जिसके कारण इसकी रोकड़ बही में प्रविष्टि नहीं हो पाती है

10. अवधि से पूर्व विपत्र के भुगतान पर छूट जब व्यापारी के पास देय बिल की अवधि से पहले ही धनराशि की व्यवस्था हो जाती है, तो वह बैंक को अपने द्वारा स्वीकृत बिल का भुगतान कर सकता है। इस स्थिति में बैंक अपने व्यापारी को इस अवधि के लिए कुछ छूट प्रदान करता है, जिससे व्यापारी का खाता धनी कर दिया जाता है। अत: रोकड़ बही एवं पास बुक के शेषों में अन्तर आ जाता है।

11. रकम जो बैंक द्वारा वसूल की गई बैंक ग्राहकों की ओर से कुछ भुगतान प्राप्त कर लेता है; जैसे-ब्याज, लाभांश एवं प्राप्य बिल, आदि। इनका लेखा बैंक द्वारा पास बुक में तो रकम प्राप्त होते ही कर दिया जाता है, लेकिन ग्राहक बैंक से कोई सूचना प्राप्त न होने के कारण रोकड़ बही में इसको लेखा नहीं कर पाती है।

12. व्यापारी या ग्राहकों द्वारा सीधे चैक या धनराशि बैंक में जमा करना ग्राहकों द्वारा अपने लेनदारों के खातों में धनराशि को जमा कर दिया जाता है, परन्तु इसकी सूचना व्यापारी को देर से हो पाती है। जिसके कारण पास बुक का शेष तो बढ़ जाता है, परन्तु रोकड़ बही का शेष पूर्ववत् ही रहता है।

बैंक समाधान विवरण बनाने के उददेश्य

बैंक समाधान विवरण का अर्थ इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 देखें। बैंक समाधान विवरण की उपयोगिता/उद्देश्य बैंक समाधान विवरण का बनाया जाना वैसे तो आवश्यक या अनिवार्य नहीं है, परन्तु फिर भी निम्नलिखित उपयोगिताओं/उद्देश्यों/महत्त्व के लिए इसे बनाया जाता है|

1. रोकड़ बही में उचित संशोधन रोकड़ बही तथा पास बुक का मिलान करने से रोकड़ बही में उपयुक्त संशोधन करना सम्भव हो जाता है। यदि बैंक की पास बुक में ब्याज, बैंक-व्यय, ग्राहकों से रकम तथा चैकों की सीधी प्राप्ति, आदि के लेखे किए हुए हैं, तो रोकड़ बही में इनकी प्रविष्टियाँ करके संशोधित रोकड़ बही तैयार की जाती है।

2. त्रुटि को दूर करना यदि रोकड़ बही या पास बुक में लेखा करते समय कोई भूल या त्रुटि हो गई है, तो दोनों पुस्तकों का मिलान करके त्रुटि को ज्ञात करना और उसे दूर करना सरल हो जाता है।

3. भविष्य में चैक जारी करना बैंक समाधान विवरण तैयार करने से व्यापारी को बैंक शेष की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है, जिससे उसे भविष्य में चैक जारी करने में सुविधा होती है।

4. भूल-चूक का ज्ञान यदि व्यापारी और बैंक के द्वारा लेन-देन का लेखा करने में कोई भूल-चूक हो गई है, तो इसका ज्ञान बैंक समाधान विवरण द्वारा हो जाती है।

5. चैक वसूली में अनावश्यक देरी का ज्ञान बैंक समाधान विवरण से बैंक द्वारा चैकों की वसूली करने में हुई अनावश्यक देरी की जानकारी प्राप्त हो जाती है।

6. अन्तर के कारणों का ज्ञान होना पास बुक और रोकड़ पुस्तक के शेष में अन्तर के कारण भी बैंक समाधान विवरण द्वारा ज्ञात हो जाते हैं।

रोकड़ बही के शेष और पास बुक के शेष में अन्तर के कारण

बैंक समाधान विवरण बनाने की विधि/बैंक समाधान विवरण तैयार करना बैंक समाधान विवरण निम्नलिखित दो प्रकार के शेषों को लेकर बनाया जा सकता है

1. रोकड़ बही के शेष द्वारा रोकड़ पुस्तक के बैंक खाते का शेष दो प्रकार का हो सकता है-एक ऋणी शेष, जो बैंक में धनराशि जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा धनी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति बताता है।

(i) रोकड़ बही के ऋणी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में जोड़ दिया जाता है

  1. चैक निर्गमित किए गए, लेकिन भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत ही नहीं किए गए।
  2. बैंक द्वारा व्यापारी को दिया गया ब्याज।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से प्राप्त किया गया कोई भुगतान।
  4. किसी ग्राहक द्वारा सीधे बैंक में धनराशि जमा कर देना।
  5. चैक, जो रोकड़ बही में बिना लेखा किए बैंक में भेज दिए गए।

जब बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही का ऋणी शेष (Debit Balance) लेकर बनाया जाता है, तो निम्नलिखित मदों को उस शेष में से घटा दिया जाता है

  1. चैक जो वसूली के लिए जमा किए गए, परन्तु अभी वसूल नहीं हुए।
  2. बैंक चार्जेज या बैंक व्यय।
  3. बैंक द्वारा ग्राहक की ओर से किया गया कोई भुगतान।
  4. संग्रह के लिए भेजे गए चैक या बिल जो तिरस्कृत हो गए।
  5. चैक जो रोकड़ बही में लिख दिए गए, लेकिन बैंक में वसूली के लिए भेजने से रह गए।

(ii) रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा बैंक समाधान विवरण बनाना रोकड़ बही के धनी शेष द्वारा विवरण तैयार करने में ऋणी शेष में जुड़ने वाली ” मदों को घटाया जाता है और घटाई जाने वाली मदों को जोड़ा जाता है।

2. पास बुक के शेष द्वारा रोकड़ बही की भाँति पास बुक का शेष भी दो प्रकार का हो सकता है-एक धनी शेष, जो बैंक में धन जमा होने की दशा में होता है तथा दूसरा ऋणी शेष, जो अधिविकर्ष की स्थिति को बताता है। जब बैंक समाधान विवरण पास बुक के धनी शेष द्वारा बनाया जाता है, तो उपरोक्त विधि के अन्तर्गत जोड़ी जाने वाली मदों को घटाकर दिखाते हैं। तथा घटाई जाने वाली मदों को जोड़ते हैं। इसके विपरीत जब पास बुक के ऋणी शेष या अधिविकर्ष द्वारा बैंक समाधान विवरण तैयार किया जाता है, तो उपरोक्त जोड़ी जाने वाली मदों को इसमें जोड़कर तथा घटाई जाने वाली मदों को घटाकर दिखाया जाता

क्रियात्मक प्रश्न  (8 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सूचना से एक बैंक समाधान विवरण 31 मार्च, 2016 को बनाइए।

  1. इस तिथि को रोकड़ बही में बैंक खाते का शेष ₹ 3,000 था।
  2. ₹ 200 का चैक बैंक में जमा किया गया था, परन्तु बैंक खाते में अभी तक जमा नहीं हुआ।
  3. लेनदारों को ₹ 1,800 के दो चैक दिए थे, उनमें से बैंक के पास ₹ 800 का एक चैक ही भुगतान के लिए प्रस्तुत किया गया।
  4. निम्नलिखित प्रविष्टियाँ पास बुक में की गई थी, परन्तु रोकड़ बही में उस तिथि तक नहीं लिखी गई थी।
  • बैंक व्यय ₹ 40
  • ₹ 200 का बीमा प्रीमियम बैंक द्वारा चुकाया गया था।
  • एक ग्राहक द्वारा बैंक में ₹ 500 सीधे जमा कर दिए गए। (2017)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 मार्च, 2016 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 2

प्रश्न 2.
निम्न से बैंक समाधान विवरण-पत्र तैयार कीजिए।

  1. दिनांक 31-12-2014 को रोकड़ बही के अनुसार बैंक शेष ₹ 3,200 है।
  2. बैंक व्यय ₹ 20 था।
  3. बैंक ने ₹ 100 लाभांश एकत्रित किया।
  4. ₹ 1,780 के चैक जारी किए गए, लेकिन भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
  5. ₹ 860 के बैंक बैंक में जमा कराए, किन्तु अभी क्रेडिट नहीं हुए। (2016)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2014 को)

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 3

प्रश्न 3.
निम्न विवरण से 31 मार्च, 2015 को बैंक समाधान विवरण-पत्र बनाइए।

  1. रोकड़ बही के बैंक खाते का क्रेडिट शेष (अधिविकर्ष) ₹ 14,400 हैं।
  2. ₹ 6,160 के चैक बैंक में जमा कराए गए, परन्तु राशि जमा नहीं हुई।
  3. देनदारों को ₹ 2,880 के चैक जारी किए गए, किन्तु भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
  4. बैंक ने ₹ 200 अपना बैंक व्यय लगाया।
  5. ₹ 4,000 एक ग्राहक ने व्यापारी के बैंक खाते में सीधे जमा करवाए। (2016)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 मार्च, 2015 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 4

प्रश्न 4.
निम्नलिखित विवरण से रनवीर सिंह, मुम्बई का 31 दिसम्बर, 2013 का बैंक समाधान विवरण बनाइए।

  1. 31 दिसम्बर, 2013 को पास बुक का क्रेडिट शेष ₹ 6,225 था।
  2. ₹ 2,375 का चैक संग्रह हेतु बैंक भेजा गया था, किन्तु संग्रह नहीं हुआ।
  3. 1,750 और ₹ 1,500 के दो चैकों को निर्गमित किया गया, किन्तु भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
  4. बैंक द्वारा ₹ 225 ब्याज के क्रेडिट किए गए।
  5. ग्राहक की ओर से ₹ 1,200 का बीमा प्रीमियम का बैंक द्वारा सीधे भुगतान किया गया।

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2013 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 4

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विवरण से श्यामनन्दन, कानपुर का 31 दिसम्बर, 2012 का बैंक समाधान विवरण बनाइए।

  1. 31 दिसम्बर, 2012 को रोकड़ बही के अनुसार ₹ 5,000 डेबिट शेष था।
  2. संग्रह हेतु भेजा गया, ₹ 1,000 के चैक का बैंक द्वारा संग्रह नहीं हुआ।
  3. ₹ 500 का एक निर्गमित चैक भुगतान हेतु प्रस्तुत नहीं किया गया।
  4. बैंक द्वारा ब्याज के पास बुक में हैं  ₹ 125 क्रेडिट किए गए, किन्तु रोकड़ । पुस्तक लेखा नहीं हुआ।
  5. बैंक द्वारा बीमा प्रीमियम के ₹ 500 का भुगतान सीधे कर दिया गया।

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2012 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 5

प्रश्न 6.
निम्नलिखित विवरण से मै, अमर चन्द्र, कुँवर चन्द्र, वाराणसी का 31 दिसम्बर, 2011 को बैंक समाधान विवरण बनाइए।

  1. 31 दिसम्बर, 2011 को रोकड़ बही के अनुसार ₹ 6,023 का डेबिट शेष था।
  2. बैंक में संग्रह हेतु ₹ 1,420 का चैक भेजा गया था जिसका संग्रह नहीं हुआ था।
  3. ₹ 3,000 के चैक निर्गमित किए गए थे, किन्तु भुगतान हेतु प्रस्तुत नहीं किए गए।
  4. ₹ 1,850 बैंक द्वारा बीमा प्रीमियम के लिए सीधे भुगतान किए गए।
  5. ₹ 120 बैंक ने ब्याज के क्रेडिट किए। (2012)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2011 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 6

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सूचनाओं से 31 दिसम्बर, 2010 को एक बैंक समाधान विवरण तैयार कीजिए।

  1. रोकड़ पुस्तक के अनुसार शेष ₹ 8,000 था।
  2. ₹ 11,000 का चैक संग्रह हेतु बैंक भेजा गया, किन्तु संग्रह नहीं हुआ।
  3. ₹ 12,000 के चैक निर्गमित किए गए, किन्तु भुगतान के लिए केवल ₹ 10,000 के चैक प्रस्तुत किए गए।
  4. एक ग्राहक द्वारा सीधे बैंक में ₹ 4,000 जमा कर दिए गए।
  5. बैंक द्वारा ब्याज के लिए हैं ₹ 500 क्रेडिट किए गए।
  6. बैंक द्वारा ₹ 1,500 बीमा प्रीमियम के लिए भुगतान किया गया। (2011)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2010 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 7

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर 31 दिसम्बर, 2005 को बैंक समाधान विवरण तैयार कीजिए।

  1. पास बुक के अनुसार क्रेडिट शेष ₹ 9,000 था।
  2. ₹ 7,000 के चैक वसूली के लिए भेजे गए, किन्तु वसूल नहीं हुए।
  3. बैंक व्यय के ₹ 60 डेबिट किए गए, किन्तु रोकड़ पुस्तक में लेखा नहीं हुआ।
  4. ₹ 9,600 के चैक निर्गमित किए गए, किन्तु भुगतान हेतु उन्हें प्रस्तुत नहीं किया गया।
  5. पास बुक में गलती से ₹ 3,000 डेबिट हो गए।  (2006)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2005 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 8

प्रश्न 10.
निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर बैंक समाधान विवरण तैयार कीजिए। 31 दिसम्बर, 2004 को मोहन की पास बुक में ₹ 8,000 का डेबिट शेष था। रोकड़ बही से मिलान करने पर निम्नलिखित अन्तर ज्ञात हुए

  1. बैंक में जमा किया गया ₹ 1,000 का चैक अभी तक वसूल नहीं हुआ।
  2. ₹ 1,000 के चैक निर्गमित किए गए, परन्तु भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
  3. ग्राहक ने ₹ 1,000 सीधे मोहन के खाते में जमा कर दिए।
  4. ₹ 500 विनियोग पर ब्याज बैंक ने वसूल किया।
  5. बैंक द्वारा लिया गया ब्याज ₹ 1,000।

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2004 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 9

प्रश्न 11.
निम्न से बैंक समाधान विवरण-पत्र तैयार कीजिए।

  1. दिनांक 31.12.2017 को पास बुक के अनुसार बैंक शेष (जमा) ₹ 6,428 था।
  2. बैंक व्यय ₹ 120 था।
  3. बैंक ने ₹ 1,000 लाभांश एकत्रित किया।
  4. ₹ 2,600 के चैक जारी किए गए, लेकिन भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
  5. ₹ 1,600 के चैक बैंक में जमा कराए, किन्तु अभी तक क्रेडिट नहीं हुए। (2018)

हल
बैंक समाधान विवरण
(31 दिसम्बर, 2017 को)
UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 10

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 3 बैंक समाधान विवरण help you.

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