UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन
UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन are part of UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन.
UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन
वाक्यों में त्रुटि-मार्जन
नवीनतम पाठ्यक्रम में वाक्यों में त्रुटि-मार्जन अर्थात् वाक्य-संशोधन को सम्मिलित किया गया है। इसमें लिंग, वचन, कारक, काल तथा वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियों के संशोधन कराये जाते हैं। इसके लिए कुल 2 अंक निर्धारित है।
वाक्ये भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई होती है। यदि वाक्य-रचना निर्दोष हो तो वक्ता/लेखक का आशय श्रोता/पाठक को समझने में कठिनाई नहीं होती। दोषपूर्ण वाक्य से आशय स्पष्ट नहीं हो पाता; अत: वाक्य-रचना का निर्दोष होना अत्यन्त आवश्यक है। वाक्य-रचना में दोष अनेक कारणों से हो सकते हैं। यदि वाक्य में लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य, विभक्ति, शब्दक्रम आदि में कोई भी दोषपूर्ण हुआ तो वाक्य सदोष हो जाता है। शुद्ध वाक्य-रचना के लिए व्याकरण-ज्ञान परमावश्यक है। वाक्य-रचना की अशुद्धियाँ निम्नलिखित प्रकार की हो सकती हैं-
- अन्विति सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
- पदक्रम सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
- वाच्य सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
- पुनरुक्ति सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
- पदों की अनुपयुक्तता सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
- वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
(1) अन्विति सम्बन्धी अशुद्धियाँ
वाक्यों में पदों की एकरूपता (लिंग, वचन, पुरुष आदि) के साथ क्रिया की भी अनुरूपता होनी चाहिए। हिन्दी में पदों की क्रिया के साथ इसी अनुरूपता अर्थात् अन्विति के कुछ विशेष नियम हैं-
(क) कर्ता-क्रिया की अन्विति
(1) विभक्तिरहित कर्ता वाले वाक्य की क्रिया सदा कर्ता के अनुसार होती है। यदि कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति चिह्न जुड़ा हो तो सकर्मक क्रिया कर्म के लिंग, वचन के अनुसार होती है; जैसे-
- लड़का पुस्तक पढ़ता है। (कर्ता के अनुसार
- लड़की पत्र पढ़ती है। (कर्ता के अनुसार)
- लड़के ने पुस्तक पढ़ी। (कर्म के अनुसार)
- लड़की ने पत्र पढ़ा। (कर्म के अनुसार)
(2) कर्ता और कर्म दोनों विभक्ति-चिह्नसहित हों तो क्रिया पुंल्लिग एकवचन में होती है; जैसे
- प्रधानाचार्य ने अध्यापिका को बुलाया।
- नेताओं ने किसानों को समझाया।
(3) यदि समान लिंग के विभक्ति-चिह्नरहित अनेक कर्ता पद ‘और’ से जुड़े हों तो क्रिया उसी लिंग की तथा बहुवचन में होती है; जैसे
- स्वाति, चित्रा और मधु आएँगी।
- डेविड, नीरज और असलम खेल रहे हैं।
(4) ‘या’ से जुड़े विभक्तिरहित कर्ता पदों की क्रिया अन्तिम कर्ता के अनुसार होती है; जैसेभाई या बहन आएगी।
(5) विभिन्न लिंगों के अनेक कर्ता यदि ‘और’ से जुड़े हों तो क्रिया पुंल्लिग बहुवचन में होती है; जैसेगणतन्त्र दिवस की परेड को लाखों बालक, वृद्ध और नारी देख रहे थे।
(6) यदि कर्ता भिन्न-भिन्न पुरुषों के हों तो उनका क्रम होगा—पहले मध्यम पुरुष, फिर अन्य पुरुष और अन्त में उत्तम पुरुष। क्रिया अन्तिम कर्ता के लिंग के अनुसार बहुवचन में होगी; जैसे
- तुम, गीता और मैं नाटक देखने चलेंगे।
- तुम, विकास और मैं टेनिस खेलेंगे।
(7) कर्ता का लिंग अज्ञात हो तो क्रिया पुंल्लिग में होगी; जैसे–
- देखो, कौन आया है ?
- तुम्हारा पालन-पोषण कौन करता है ?
(8) आदर देने के लिए एकवचन कर्ता के लिए भी क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होती है; जैसे
- मुख्यमन्त्री भाषण दे रहे हैं।
- महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता माने जाते हैं।
(9) सम्बन्ध कारक का लिंग उसके सम्बन्धी के लिंग के अनुसार होता है-यदि ये लोग भिन्न-भिन्न लिंग के हों तथा ‘और’ से जुड़े हों तो संज्ञा-सर्वनाम को लिंग प्रथम सम्बन्धी के अनुसार होगा; जैसे–
- मेरा बेटा और बेटी दिल्ली गये हैं।
- मेरे भाई-बहन पढ़ रहे हैं।
- तुम्हारे भाई और बहन आजकल क्या कर रह
(ख) कर्म और क्रिया की अन्विति
(1) यदि कर्ता ‘को’ प्रत्यय से जुड़ा हो तथा कर्म के स्थान पर कोई क्रियार्थक संज्ञा प्रयुक्त हुई हो तो क्रिया सदैव एकवचन, पुंल्लिग तथा अन्य पुरुष में होगी; जैसे
- उसे (उसको) पुस्तक पढ़ना नहीं आता।
- तुम्हें (तुमको) बात करने नहीं आता।।
(2) यदि वाक्य में कर्ता ‘ने’ विभक्ति से युक्त हो तथा कर्म की ‘को’ विभक्ति प्रयुक्त नहीं हुई हो तो वाक्य की क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार प्रयुक्त होगी; जैसे-
- श्याम ने पुस्तक पढ़ी।
- श्यामा ने क्षमा माँगी।
(3) यदि एक ही लिंग और वचन के अनेक अप्रत्यय कर्म एक साथ एक वचन में आयें तो क्रिया एक वचन में होगी; जैसे
- राघव ने एक घोड़ा और एक ऊँट खरीदा।।
- रमेश ने एक पुस्तक और एक कलम खरीदी।
(4) यदि एक ही लिंग और वचन के अनेक प्राणिवाचक अप्रत्यय कर्म एक साथ प्रयुक्त हों तो क्रिया उसी लिंग में तथा बहुवचन में प्रयुक्त होगी; जैसे
- महेश ने गाय और बकरी मोल लीं।
- लक्ष्मण ने दूध के लिए गाय और भैंस खरीदीं।
(5) यदि वाक्य में भिन्न-भिन्न लिंग के एकाधिक अप्रत्यय कर्म प्रयुक्त हों तथा वे ‘और’ से जुड़े हों तो क्रिया-अन्तिम कर्म के लिंग और वचन के अनुसार प्रयुक्त होगी; जैसे
- रमेश ने चावल, दाल और रोटी खायी।
- सुरेश ने रोटी, दाल और चावल खाया।
(ग) विशेषण और विशेष्य की अन्विति
(1) विशेषण का लिंग और वचन अपने विशेष्य के अनुसार होता है; जैसे
- यहाँ उदार और परिश्रमी लोग रहते हैं।
- गोरे मुखड़े पर काला तिल अच्छा लगता है।
(2) यदि एक से अधिक विशेषण हों, तब भी उपर्युक्त नियम का ही पालन होता है; जैसे– वह गिरती-उठती, ऊँची-ऊँची लहरों को निहारती रही।
(3) अनेक समासरहित विशेष्यों को विशेषण निकटवर्ती विशेष्य के अनुरूप होता है; जैसे
- भोले-भाले बालक और बालिकाएँ।
- भोली-भाली बालिकाएँ और बालक।
(घ) सर्वनाम और संज्ञा की अन्विति
(1) सर्वनाम उसी संज्ञा के लिंग-वचन का अनुसरण करता है, जिसके स्थान पर वह आया है; जैसे–
- मैंने सुमन को देखा, वह आ रही थी।
- मैन विजय को देखा, वह आ रहा था।
(2) आदर के लिए बहुवचन सर्वनाम का प्रयोग होता है; जैसे
- दादाजी आये हैं। वे एक महीना रुकेंगे।
- कथावाचक व्यास जी आ चुके हैं। अब वे नियमित पन्द्रह दिन तक प्रवचन करेंगे।
(3) वर्ग का प्रतिनिधि अपने लिए ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ का प्रयोग करता है; जैसे–
- शिक्षामन्त्री ने कहा कि हमें अपने देश से अशिक्षा दूर करनी है।
- शिक्षक ने कहा कि हमें अपने देश का गौरव बढ़ाना है।
अन्विति सम्बन्धी अशुद्धियों के उदाहरण
(2) पदक्रम सम्बन्धी अशुद्धियाँ
वाक्य पदों और पदबन्धों से बनता है। वाक्य के साँचे में पदों का क्या क्रम हो, इसके कुछ निश्चित नियम हैं–
(1) प्रायः कर्त्तापद वाक्य में सबसे पहले आता है और क्रियापद सबसे अन्त में; जैसे|
- भिखारी आ रहा है।
- सूर्योदय हो गया।
(2) सम्बोधन और विस्मयसूचक पद वाक्य के प्रारम्भ में कर्ता से भी पहले आते हैं; जैसे
- अरे ! भिखारी आ रहा है।
- अहा ! सूर्योदय हो गया।
(3) कर्मपद कर्ता और क्रियापदों के बीच रहता है; जैसे-
- राजेश पाठ पढ़ाता है।
- बच्चे ने गीत सुनाया।
(4) सम्बन्धकारक अपने सम्बन्धी शब्द से पूर्व आता है; जैसे
- भिखारी के बच्चे ने रहीम का पद सुनाया।
- वह तुम्हारा नाम पूछ रहा था।
(5) प्रश्नवाचक पद प्रश्न के विषय से पूर्व आता है; जैसे
- कौन खड़ा है ? (कर्ता पर प्रश्न)
- तुम क्या खा रही हो ? (कर्म पर प्रश्न)
- वह कैसे आया ? (रीति पर प्रश्न)
(6) कर्ता और कर्म को छोड़कर शेष सभी कारक कर्ता-कर्म के बीच आते हैं। एक से अधिक कारक रूप होने पर ये उल्टे क्रम में (पहले अधिकरण) रखे जाते हैं; जैसे
- मजदूर खेत में रहट से सिंचाई कर रहे थे।
- छात्र मैदान में अपने मित्रों के साथ हॉकी खेलने लगे।
(7) पूर्वकालिक क्रिया, मुख्य क्रिया से पहले आती है; जैसे-
- कल पढ़कर आइए।
- कल मुंह धोकर आना।
(8) “न” या “नहीं” का प्रयोग निषेध के अर्थ में हो तो क्रिया से पूर्व और आग्रह के अर्थ में हो तो क्रिया के बाद होता है; जैसे–
- मैं नहीं जाऊँगा।
- तुम आओ न।
(9) पदक्रमों में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वाक्य के विभिन्न पदों में ऐसी तर्कसंगत निकटता होनी चाहिए, जिससे कि वाक्य द्वारा अपेक्षित अर्थ स्पष्ट हो। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखें-
- फल बच्चे को काटकर खिलाओ।
- गर्म गाय का दूध स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों का अर्थ अटपटा और हास्यास्पद है। इन वाक्यों का उचित क्रम होगा - बच्चे को फल काटकर खिलाओ।
- गाय का गर्म दूध स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
अन्य उदाहरण
(3) वाच्य सम्बन्धी अशुद्धियाँ
वाच्य सम्बन्धी अशुद्धियों से भाषा का सौन्दर्य नष्ट हो जाता है। इस प्रकार की अशुद्धियों से अर्थ का अनर्थ होने का भय प्रायः कम ही रहता है। इस प्रकार की अशुद्धियों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(4) पुनरुक्ति सम्बन्धी अशुद्धियाँ
पीछे दिये गये तीन भेदों के अतिरिक्त वाक्य में कुछ ऐसी अशुद्धियाँ भी मिलती हैं, जिनके मूल में एक ही घटक को दो भिन्न रीतियों से एक साथ उद्धृत किया गया होता है; जेस–
- मुझे केवल दस रुपये मात्र मिले। (अशुद्ध)
- मुझे केवल दस रुपये मिले। (शुद्ध)
- मुझे दस रुपये मात्र मिले। (शुद्ध)
यहाँ प्रथम वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि केवल’ शब्द के अर्थ को दो विभिन्न रीतियों के माध्यम से एक साथ प्रयुक्त कर दिया गया है। ऐसी अशुद्धियों के मूल में पुनरावृत्ति या पुनरुक्ति की भावना रहती है। आगे कुछ उदाहरणों की सहायता से इसे और अधिक स्पष्ट किया जा रहा है-
(5) पदों की अनुपयुक्तता सम्बन्धी अशुद्धियाँ
कई बार लिखते समय हम वाक्यों में पदों के अनुपयुक्त रूपों का प्रयोग करके उन्हें अशुद्ध बना देते हैं। इस प्रकार की अशुद्धियों से बचने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है। पद-भेदों के अनुसार इस प्रकार की अशुद्धियों के भी अनेक भेद हैं, जिन्हें उदाहरणसहित यहाँ समझाया जा रहा है। दिये गये उदाहरणों में अनुपयुक्त पद को मोटे अक्षरों में अंकित किया गया है और उनके उपयुक्त (शुद्ध) रूप को वाक्य के सम्मुख कोष्ठक में दिया गया है।
(6) वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ
वर्तनी का शाब्दिक अर्थ है-वर्तन यानि अनुवर्तन करना अर्थात् पीछे-पीछे चलना। लेखन-व्यवस्था में वर्तनी शब्द-स्तर पर शब्द की ध्वनियों का अनुवर्तन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि शब्द-विशेष के लेखन में शब्द की एक-एक करके आने वाली ध्वनियों के लिए लिपि-चिह्नों के क्या रूप हों और उनका कैसा संयोजन हो यह वर्तनी (वर्ण-संयोजन) का कार्य है।
वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ प्रायः निम्नलिखित कारणों से होती हैं
(1) असावधानी अथवा शीघ्रता – वर्तनी सम्बन्धी अधिकांश अशुद्धियाँ असावधानी व शीघ्रता के कारण ही होती हैं। बहुत बार अच्छी तरह से ज्ञात शब्द के लिखने में भी अशुद्धि हो जाती है; जैसे—गौण का गौड़, धन का घन, पत्ता का पता आदि। ऐसी भूलों के निवारण के लिए यही सलाह दी जा सकती है कि लेखन-कार्य अत्यधिक सावधानी से करना चाहिए।
(2) उच्चारण—हिन्दी भाषा की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि वह जैसे बोली जाती है, वैसे ही लिखी जाती है और जैसे लिखी जाती है वैसे ही पढ़ी या बोली भी जाती है। उच्चारण अवयव में दोष, बोलने में असावधानी, शुद्ध उच्चारण का ज्ञान न होने आदि कारणों से उच्चारण में अन्तर आ जाता है और इस भूल का निराकरण न होने तक वर्तनी से सम्बन्धित अशुद्धियाँ होती ही रहती हैं।
(3) स्थानिक प्रभाव-भाषा को सौन्दर्य और सौष्ठव उसके गठन और उच्चारण की शुद्धता पर आधारित होता है। शुद्ध उच्चारण से ही भाषा का लिखित रूप (वर्तनी) शुद्ध होता है। अंग्रेजी बोलने वाला कितना ही अभ्यास कर ले, जब भी वह हिन्दी बोलेगा, उसके उच्चारण में अंग्रेजी का पुट जाने-अनजाने आ ही जाएगा। यही स्थिति हिन्दी में भी होती है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग, दिल्ली व हरियाणा के निवासी ‘क, ख, ग’ को ‘कै, खै, गै, बोलते हैं, जबकि पूर्वी अंचल में इसका अभ्यास ‘क, ख, ग’ का ही विकसित होता है। स्वाभाविक है कि क्षेत्र-विशेष के उच्चारण का प्रभाव लिखने पर भी पड़ता है; परिणामस्वरूप वर्तनी में भी ऐसी ही भूलें दिखाई देती हैं। हिन्दी भाषा में वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं-
- स्वर (मात्रा) सम्बन्धी,
- व्यंजन सम्बन्धी,
- सन्धि सम्बन्धी,
- समास सम्बन्धी,
- विसर्ग सम्बन्धी तथा,
- हलन्त सम्बन्धी।
वर्तनी से सम्बन्धित उपर्युक्त समस्त बिन्दुओं पर विवरण देना यहाँ नितान्त अप्रासंगिक है और परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी भी नहीं है। विद्यार्थियों से तो इतनी ही अपेक्षा है कि वे हिन्दी को अधिक-से-अधिक शुद्ध रूप में लिखें। इसके लिए उन्हें अधिकाधिक हिन्दी लिखने का अभ्यास करना चाहिए। हिन्दी की स्तरीय पुस्तकों का अध्ययन, इसमें सहायक सिद्ध होगा।
अशुद्धियों के बहु-प्रचलित कुछ उदाहरण
We hope the UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi वाक्यों में त्रुटि-मार्जन, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.