UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 3 लाटी
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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 3 लाटी (शिवानी)
प्रश्न 1
‘लाटी’ कहानी का सारांश (कथावस्तु) अपने शब्दों में लिखिए। [2012, 13, 15, 16, 18]
उत्तर
प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कथा-लेखिका शिवानी द्वारा कृत ‘लाटी’ कहानी एक घटना प्रधान कहानी है। इस कहानी में कप्तान जोशी का वर्णन है, जो अपनी बीमार पत्नी ‘बानो’ से अत्यधिक प्रेम करते हैं। टी०बी० की मरीज होने के कारण जब उनकी पत्नी जिन्दगी से निराश हो जाती है तो वह नदी में कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास करती है तथा बाद में लाटी बनकर कप्तान से मिलती है परन्तु बोल नहीं पाती। इस कहानी का सारांश निम्नलिखित है–
कप्तान जोशी गोठिया टी०बी० सैनेटोरियम के तीन नम्बर के बंगले में दो गुना किराया देकर अपनी रोगिणी पत्नी ‘बानो’ के साथ रहता था। ‘बानो’ से अत्यधिक प्रेम के कारण वह उसको देख सहज भाव से मुस्करा देता तथा उसे प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करता। बँगले के बरामदे में पत्नी के पलँग के पास वह दिन भर कुर्सी डाले बैठा रहता। कभी अपने हाथों से टेम्प्रेचर चार्ट भरता और कभी समय देख-देखकर दवाइयाँ देता। पास के बंगले के मरीज बड़ी तृष्णा और चाव से इनकी कबूतर-सी जोड़ी देखते। ऐसी घातक बीमारी पर भी बड़े यत्न और स्नेह से कप्तान अपनी पत्नी की सेवा करता था। विवाह के दो वर्ष बाद ही ‘बानो’ को भयंकर तपेदिक हो गयी। कप्तान दिन-रात सेवा करता तथा उसे बेहद प्यार करता। माता-पिता के पत्र आते कि यह भयंकर बीमारी है, तुम बचकर रहो। माँ ने रो-रोकर पत्र लिखा कि मेरे दस-बीस बेटे नहीं हैं, तुम अकेले हो। कप्तान पर इन बातों का कोई असर नहीं होता। उसने ‘बानो’ की सेवा-सुश्रूषा में कोई कमी नहीं रखी।
‘बानो’ से विवाह के ठीक तीसरे दिन कप्तान को बसरा जाना पड़ा। बानो को छोड़कर जाना उसके लिए असहनीय था। उसने बानो से पहली मुलाकात में ही उसका नाम पूछा। जब उसने अपना नाम बानो बताया तो कप्तान ने मजाक में कहा कि यह तो मुसलमानी नाम है। जब बानो की आँखें छलक उठीं तो कप्तान बोला मैं तो तुम्हें छेड़ रहा था-कितना प्यारा नाम है? अभी बानो केवल सोलह वर्ष की थी। कप्तान दो वर्ष बाद वापस आता है। इस बीच बानो ने सात सात ननदों के ताने सुने, भतीजों के कपड़े धोये, ससुर के होज बिने, पहाड़-सी नुकीली छतों पर पाँच-पाँच सेर उड़द पीस कर बड़ियाँ डालीं। उससे कहा गया कि तेरे पति को जापानियों ने कैद कर लिया है, अब वह कभी नहीं लौटेगा। सास और चचिया सास के व्यंग्य बाण उसे व्याकुल कर देते। वह घुलती गयी और एक दिन क्षय रोग से पीड़ित होकर उसने चारपाई पकड़ ली। दो साल बाद कप्तान आया और आकर बानो को देखने चल दिया तो घर वालों के चेहरे लटक गये। एक प्राइवेट वार्ड के बरामदे में लेटी बानो को देखकर कप्तान के होश उड़ गये। दो वर्ष में बानो घिसकर और भी बच्ची बन गयी थी। कप्तान को देखकर उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे।।
बानो की नाजुक हालत देखकर अन्तत: डॉक्टर ने कप्तान को नोटिस दे दिया कि कमरा खाली करके मरीज को घर ले जाइए। कप्तान ने बानो से कहा घर नहीं, दूसरी जगह चलेंगे। सुबह उठा तो कप्तान ने देखा कि बानो पलँग पर नहीं थी। दूसरे दिन नदी के घाट पर बानो की साड़ी मिली तो वह समझ गया कि उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया है।
कप्तान का एक साल में ही विवाह हो जाता है। दो बेटे और एक बेटी उसकी दूसरी पत्नी प्रभा ने उसे दिये। कप्तान अब मेजर हो गया। पन्द्रह-सोलह साल बाद कप्तान प्रभा के साथ नैनीताल घूमने आया। प्रभा की जिद पर वह सड़क की ही चाय की दुकान पर उसके साथ चाय पीने बैठ गया। वहीं पर वैष्णवी साध्वियों के झुण्ड के साथ उसे बानो मिलती है, जो कि अब जीभ कट जाने के कारण बोल नहीं पाती और उसकी याददाश्त भी जाती रही है। प्रभा उसकी सुन्दरता पर मुग्ध थी। वैष्णवियों के ही बातचीत से कप्तान को यह निश्चित हो जाता है कि लाटी ही बानो है। उसका प्रेम अभी भी बानो के प्रति समाप्त नहीं हुआ था। लेकिन अब वह जीवन की दौड़ में बहुत आगे बढ़ चुका था। वह सोच ही रहा था कि प्रभा ने चलने के लिए कह दिया, वह उठ खड़ा हुआ। उसे अनुभव हुआ कि कुछ ही पलों में वह बूढ़ा और खोखला हो चुका है। यहीं पर कथा का समापन हो जाती है।
प्रश्न 2
कथानक की दृष्टि से शिवानी की ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए।
या
उद्देश्य की दृष्टि से ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए। या। ‘लाटी’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
या
‘लाटी’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। [2012, 14, 15, 16, 17, 18]
उत्तर
शिवानी हिन्दी की एक प्रसिद्ध महिला कथाकार रही हैं। इनकी कहानियों में नारी के विभिन्न रूपों का सुन्दर चित्रण हुआ है। सामाजिक रूढ़ियों और आडम्बरों पर ये शालीन व्यंग्य करती हैं। प्रस्तुत कहानी ‘लाटी’ में एक महिला की कथा है। कहानी-कला के कतिपय प्रमुख तत्त्वों के आधार पर इस कहानी की समीक्षा निम्नवत् है-
(1) शीर्षक-कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सरल, कौतूहलवर्द्धक तथा आकर्षक है। कहानी का मूल भाव शीर्षक के साथ जुड़ा है। शीर्षक पढ़ते ही जिज्ञासा होती है, कौन लाटी ? कहाँ की लाटी ? ‘लाटी’ के अतिरिक्त अन्य कोई भी शीर्षक पाठकों की जिज्ञासा में इतनी वृद्धि नहीं कर सकता था, जितना ‘लाटी’ ने किया। अत: प्रस्तुत कहानी का यह शीर्षक पूर्णतया उपयुक्त है।
(2) कथानक-बानो से विवाह के तीसरे ही दिन कप्तान को बसरा जाना पड़ा। अपनी खिलौने-सी बहू से उसे अतिशय प्यार है। दो वर्ष बाद जब वह वापस लौटता है तो उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी एक टी० बी० सैनेटोरियम में भर्ती है। इन दो वर्षों में सास-ननदों के ताने सुने; घर के समस्त काम किये और अन्ततः बीमार होकर सैनेटोरियम की चारपाई पकड़ ली। कप्तान आता है, उसे हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराता है और उसकी समस्त सेवा-सुश्रूषा स्वयं करता है। डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी तो जीवन से तंग आकर बानो नदी में कूदकर आत्महत्या कर लेती है। कप्तान की दूसरी शादी हो जाती है और उसके तीन बच्चे भी बड़े हो जाते हैं। सोलह-सत्रह वर्षों के बाद जब वह नैनीताल घूमने आता है तो एक चाय की दुकान पर बानो लाटी के रूप में जीवित मिलती है, जिसकी याददाश्त जा चुकी है और वह बोल नहीं सकती।
प्रस्तुत कहानी का अन्त नाटकीय है, कहानी में उत्सुकता, आकर्षण तथा सुगठन है। बानो को लाटी के रूप में जीवित दिखाकर लेखिका ने कथा में एक अकल्पनीय मोड़ प्रस्तुत किया है। कथा-लेखिका ने मुख्य घटना के घटने तक पाठकों की जिज्ञासा को बनाये तथा उन्हें कहानी से बाँधे रखा है। घटना का क्रम, उदय, विकास और उपसंहार अत्यधिक सुनियोजित ढंग से हुआ है। कहानी में प्रवाह और गतिशीलता अन्त तक बनी हुई है। अत: कहा जा सकता है कि कथानक के तत्त्वों की दृष्टि से लाटी एक उत्कृष्ट कहानी है।
(3) उद्देश्य–शिवानी की कहानियाँ चित्रण अथवा घटनाप्रधान होती हैं। इन कहानियों का उद्देश्य मुख्यत: मनोरंजन प्रदान करना ही होता है। इसके साथ ही लेखिका अपने पाठक को आज के समाज की वास्तविकता से भी अवगत कराना चाहती हैं। इस प्रकार कहानी-कला के प्रमुख तत्त्वों की दृष्टि से शिवानी जी की ‘लाटी’ कहानी सफल कहानी है। इसमें प्रारम्भ से अन्त तक पाठक के हृदय को बाँध लेने का गुण विद्यमान है।
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