UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 किसान और काश्तकार

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 किसान और काश्तकार

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें।
इस व्यवस्था को-

  1. एक संपन्न किसान,
  2. एक मजदूर,
  3. एक खेतिहर स्त्री।

की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।
उत्तर:
(1) एक संपन्न किसान की दृष्टि में – 16वीं शताब्दी में जब ऊन की कीमतें बढ़ीं तो संपन्न किंसानों ने साझा भूमि की सबसे अच्छी चरागाहों की निजी पशुओं के बाड़बंदी शुरू कर दी। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था
कि भेड़ी को अच्छा चारा मिल सके। उन्होंने गरीब लोगों को भी बाहर खदेड़ना शुरू कर दिया और उन्हें साझा भूमि पर पशु चराने से भी मना कर दिया। बाद में 18वीं सदी के मध्य में इस बाड़बंदी को कानूनी मान्यता देने के लिए ब्रिटिश संसद ने 4,000 से अधिक अधिनियम पारित किए।

(2) एक मजदूर की दृष्टि में – गरीब मजदूरों के जीवित बने रहने के लिए साझा भूमि बहुत आवश्यक थी। यहाँ वे अपनी गायें, भेड़े आदि चराते थे और आग जलाने के लिए जलावन तथा खाने के लिए कंद-मूल एवं फल इकट्ठा करते थे। वे नदियों तथा तालाबों में मछलियाँ पकड़ते थे, और साझा वनों में खरगोश का शिकार करते थे।

(3) एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि में – खेतिहर महिला प्रायः खुले खेतों पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ कार्य करती थी। साझी भूमि से वह घरेलू कार्यों के लिए ईंधन एकत्रित करती थी तथा चरागाहों में पशुओं को चराने में सहयोग करती थी। इस प्रकार खुले खेतों के अतिरिक्त साझी भूमि ही उसके आर्थिक विकास का एकमात्र साधन थी। वे अपने पशुओं को चराने, फल और जलावन एकत्र करने के लिए साझा भूमि का प्रयोग करते थे। यद्यपि खुले खेतों के गायब हो जाने से इन सभी क्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। जब खुली खेत प्रणाली समाप्त होना प्रारंभ हुई, वनों से जलाने के लिए जलावन एकत्र करना या साझा भूमि पर पशु चराना अब संभव नहीं था। वे कंद-मूल एवं फल इकट्ठा नहीं कर सकते थे या मांस के लिए छोटे जानवरों का शिकार नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 2.
इंग्लैण्ड में हुए बाड़बंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में बाड़बंदी आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले सभी कारण अंततः लाभ कमाने के उद्देश्य से प्रेरित थे।
इनमें से कुछ कारक इस प्रकार थे-

  1. पौष्टिक चारा फसलों की कृषि के लिए-ऊन के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए पौष्टिक चारा फसलों की तथा पशुओं की नस्ल सुधारने की आवश्यकता थी। इसलिए अपने पशुओं को गाँव के अन्य पशुओं से अलग रखने तथा पौष्टिक चारा फसलों के उत्पादन के लिए भी संपन्न किसानों ने अपने खेतों की बाड़ाबंदी आरंभ कर दी।
  2. अनाज की माँग में वृद्धि-18वीं सदी के अंतिम दशकों में बाड़ाबंदी आंदोलन तेजी से सारे इंग्लैण्ड में फैल गया। इसका मूल कारण दुनिया के सभी भागों में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण अनाज की बढ़ती हुई माँग थी। किसानों ने अपनी भूमियों की बाड़ाबंदी आरंभ कर दी जिससे उनमें अधिक-से-अधिक अनाज उगाना संभव हो सके।
  3. ऊन के मूल्यों में वृद्धि-16वीं सदी के आरंभ से ही ऊन के मूल्यों में होने वाली वृद्धि ने इंग्लैण्ड के किसानों को अधिक-से-अधिक भेड़ों को पालने के लिए प्रोत्साहित किया।
  4. साझा भूमि पर अधिकार संपन्न किसान अपनी भूमि का विस्तार करना चाहते थे जिससे वे अधिक निजी चरागाह बना सकें। इसके लिए उन्होंने साझा भूमियों को काटकर उस पर बाड़ाबंदी आरंभ कर दी।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड के गरीब किसान थेसिंग मशीन का विरोध क्यों कर रहे थे?
उत्तर:
इंग्लैण्ड के गरीब किसान श्रेसिंग मशीन का विरोध इसलिए कर रहे थे, क्योंकि-

  1. इसने फसल की कटाई के समय कामगारों के लिए रोजगार के अवसर कम कर दिए। इससे पहले मजदूर खेतो ंमें विभिन्न काम करते हुए जमींदार के साथ बने रहते थे। बाद में, उन्हें केवल फसल कटाई के समय ही काम पर रखा जाने लगा।
  2. अधिकतर मजदूर आजीविका के साधन गवाँ कर बेरोजगार हो गए। इसलिए वे औद्योगिक मशीनों का विरोध कर रहे थे।
  3. फ्रांस के विरुद्ध युद्ध समाप्त होने पर गाँवों में वापस लौटे सैनिकों के लिए रोजगार की आवश्यकता थी परन्तु मशीनीकरण ने रोजगार के अवसर सीमित कर दिए थे।

प्रश्न 4.
कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?
उत्तर:
कैप्टन स्विंग एक मिथकीय नाम था जिसका प्रयोग धमकी भरे खतों में श्रेसिंग मशीनों और जमींदारों द्वारा मजदूरों को काम देने में आनाकानी के ग्रामीण अंग्रेज विरोध के दौरान किया जाता था। कैप्टन स्विंग के नाम ने जमींदारों को चौकन्ना कर दिया। उन्हें यह खतरा सताने लगा कि कहीं हथियारबंद गिरोह रात में उन पर भी हमला न बोल दें और इस कारण बहुत सारे जमींदारों ने अपनी मशीनें खुद ही तोड़ डालीं। कैप्टन स्विंग, सम्पन्न किसानों के विरुद्ध मजदूरों तथा बेरोजगारों के उग्र विचारों का प्रतीक था। वह भूमिहीन मजदूरों तथा बेरोजगारों के एक बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करता था।

प्रश्न 5.
अमेरिका पर नए अप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार को क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अमेरिका पर नए अप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार के प्रभाव-

  1. वनों के कटाव तथा घास भूमियों के विनाश ने अमेरिका के पर्यावरण संतुलन को नष्ट कर दिया जिसके कारण देश के दक्षिण-पश्चिमी भागों में धूलभरी आँधियाँ चलने लगीं तथा वर्षा की मात्रा में कमी आने लगी।
  2. नए प्रवासियों के पश्चिमी प्रसार के क्रम में बड़ी संख्या में वनों और घास भूमियों को कृषि क्षेत्रों में बदल दिया गया।
  3. इन क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों को पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों की ओर विस्थापित कर दिया गया।
  4. श्वेत आबादी तथा कृषि के पश्चिमी विस्तार के कारण शीघ्र ही अमेरिका विश्व का प्रमुख गेहूँ उत्पादक देश बन गया।

प्रश्न 6.
अमेरिका में फसल काटने वाली मशीन के फायदे-नुकसान क्या-क्या थे?
उत्तर:
अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के लाभ-

  1. गेहूं के उत्पादन में तीव्र वृद्धि संभव-फसल काटने की नई मशीनों के प्रयोग से ही गेहूं का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हो सका जिसके कारण शीघ्र ही अमेरिका विश्व का प्रमुख गेहूँ उत्पादक देश बन गया।
  2. समय की बचत-सन् 1831 में अमेरिका में साइरस मैककार्मिक नामक व्यक्ति ने फसल काटने की एक मशीन बनाई जिससे 15 दिन में 500 एकड़ भूमि पर कटाई संभव थी।
  3. बड़े फार्मों पर कृषि संभव–कटाई की नई-नई मशीनों के फलस्वरूप ही विशाल आकार के खेतों पर कृषि कार्य संभव हो सका। नई मशीनों की सहायता से 4 आदमी मिलकर एक सीजन में 3,000 से 4,000 एकड़ भूमि पर फसल का उत्पादन कर सकते थे।
    अमेरिका में फसल काटने वाली मशीन से हानि-

    1. निर्धन किसानों के लिए अभिशाप-अनेक छोटे किसानों ने भी बैंकों के ऋण की सहायता से इन मशीनों को खरीदा परंतु अचानक गेहूँ की माँग में कमी ने इन किसानों को बर्बाद कर दिया।
    2. बेरोजगारी में वृद्धि–फसल कटाई की नई-नई मशीनों के कारण मजदूरों की माँग में तेजी से कमी आई जिसके कारण भूमिहीन मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उपस्थित हो गया।

प्रश्न 7.
अमेरिका में गेहूं की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?
उत्तर:
अमेरिका में गेहूं की खेती में आए तेज उछाल के चलते कृषि के अंतर्गत और अधिक क्षेत्रों को शामिल करने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर वन एवं घास भूमियों को साफ किया गया। एक व्यापक प्रयास के चलते अमेरिका शीघ्र ही विश्व का अग्रणी गेहूँ उत्पादक देश बन गया। लेकिन इसके फलस्वरूप पश्चिम एवं दक्षिण अमेरिका में एक नया पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया जिससे सारा क्षेत्र धूल भरी आँधियों से ढंक गया और यह प्राकृतिक आपदा बड़ी संख्या में मनुष्य एवं पशुओं की मृत्यु का कारण बनी।

इस घटना से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें अपने आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण का अनियंत्रित और अवैज्ञानिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमें मानव विकास के ऐसे रास्ते तलाश ने चाहिए जिससे पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना मानव विकास को उच्च स्तर पर स्थापित किया जा सके।

प्रश्न 8.
अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?
उत्तर:
अंग्रेज निम्नलिखित कारणों से अफीम की खेती के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे-

  1. भारत के अनेक क्षेत्रों की जलवायु अफीम की खेती के लिए उपयुक्त थी।
  2. इंग्लैण्ड में चाय अत्यधिक लोकप्रिय हो गई। किन्तु इंग्लैण्ड के पास धन देने के अतिरिक्त ऐसी कोई वस्तु नहीं थी जो वे चाय के बदले में चीन में बेच सकें। किन्तु ऐसा करने से इंग्लैण्ड अपने खजाने को हानि पहुँचा रहा था। यह देश के खजाने को हानि पहुँचा कर इसकी संपत्ति को कम कर रहा था। इसलिए व्यापारियों ने इस घाटे को रोकने के तरीके सोचे। उन्होंने एक ऐसी वस्तु खोज निकाली जिसे वे चीन में बेच सकते थे और चीनियों को उसे खरीदने के लिए मना सकते थे।
  3. अफीम ऐसी वस्तु थी। इसलिए अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे।
  4. अंग्रेजों को चीन से चाय खरीदने के लिए उसको मूल्य चाँदी के सिक्कों में चुकाना पड़ता था परंतु अंग्रेज इस चाँदी को बचाने के लिए भारतीय अफीम को चीन में बेचते थे। अफीम से प्राप्त आय से ही वह वहाँ से चाय खरीदते थे और उसे यूरोप में बेचकर दोहरा लाभ कमाते थे।

प्रश्न 9.
भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?
उत्तर:
भारतीय किसान निम्नलिखित कारणों से अफीम की खेती करने के प्रति उदासीन थे-

  1. जिन किसानों के पास अपनी भूमि नहीं थी। वे जमींदारों से भूमि पट्टे पर लेकर खेती करते थे। इसके लिए उन्हें किराया देना पड़ता। गाँव के निकट स्थित अच्छी भूमि के लिए जमींदार बहुत अधिक किराया वसूल करते थे।
  2. अफीम की खेती गाँवों के निकट स्थित सबसे उपजाऊ भूमि पर उगानी पड़ती थी। भूमि में अत्यधिक खाद भी डालनी पड़ती थी। किसान ऐसी भूमि पर प्रायः दालें उगाया करते थे। यदि वे इस भूमि पर अफीम उगाते, तो दालों को घटिया भूमि पर उगाना पड़ता। परिणामस्वरूप दालों का उत्पादन बहुत ही कम होता।
  3. अफीम की खेती करना एक कठिन प्रक्रिया थी। इसका पौधा नाजुक होता था इसलिए फसल को अच्छी तरह पोषण करने के लिए बहुत अधिक समय लग जाता था। परिणामस्वरूप उनके पास अन्य फसलों की देखभाल करने के लिए समय नहीं बच पाता था।
  4. सरकार किसानों को उनके द्वारा उगाई गई अफीम का बहुत ही कम मूल्य देती थी। इतनी कम कीमत पर अफीम की खेती करने में किसानों को लाभ की बजाय हानि उठानी पड़ती थी। अफीम को बेचने से होने वाला लाभ अंग्रेजों की जेब में जाता था।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमेरिका के आदिम जनजातीय समुदाय के लोग किस तरह से जीवन-यापन करते थे?
उत्तर:
महान् खोजकर्ता कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज करने से पहले इस भू-भाग पर अनेक आदिम जनजातियाँ निवास करती थीं, जिन्हें भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता था। 15वीं शताब्दी में यूरोपीय लोगों के अमेरिका में आगमन पर मूल जनजातीय समुदाय अमेरिका के पश्चिमी और दक्षिणी भागों में पीछे हटने लगी। जनजातीय समुदाय के लोग मक्का, फलियों, तंबाकू और कुम्हड़े की कृषि करते थे। इस समुदाय के कुछ लोग शिकार करके, खाद्य पदार्थों
का संकलन करके तथा मछलियाँ पकड़कर अपना भरण-पोषण और जीवन-यापन करते थे।

प्रश्न 2.
यूरोपीय लोग अमेरिका की तरफ क्यूँ आकृष्ट हुए?
उत्तर:
यूरोपीय लोगों को अमेरिका में अनेक संभावनाएँ नजर आती थीं। अमेरिका में कृषि भूमि विस्तार, वन उत्पादों का निर्यात एवं खनिज संपदा को दोहन आदि के कारण यूरोपीय लोग अमेरिका की ओर आकर्षित हुए।

प्रश्न 3.
चीन में अफीम के व्यापार की शुरुआत किस देश ने की थी?
उत्तर:
पुर्तगाल ने चीन में अफीम व्यापार की शुरुआत की थी।

प्रश्न 4.
अंग्रेज व्यापारी चीन को चाय का मूल्य किस रूप में चुकाते थे?
उत्तर:
अंग्रेज व्यापारी चाय के बदले चाँदी के सिक्के (बुलियन) का भुगतान करते थे।

प्रश्न 5.
1750 से 1900 ई. के मध्य इंग्लैण्ड की जनसंख्या कितने गुना बढ़ी थी?
उत्तर:
इंग्लैण्ड की जनसंख्या में 1750 से 1900 ई० की अवधि के बीच चार गुना की वृद्धि हुई।

प्रश्न 6.
वे दो फसलें कौन-सी हैं जिनसे मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है?
उत्तर:
मृदा में नाइट्रोजन की वृद्धि करने वाली दो फसलें शलजम और तिपतिया घास है।

प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड के किस भाग में सघन कृषि की जाती थी?
उत्तर:
इंग्लैण्ड के मध्य भाग में सघन कृषि की जाती थी।

प्रश्न 8.
निर्धन किसानों को साझा भूमि से प्राप्त होने वाले दो लाभ बताइए।
उत्तर:

  1. पशुओं के लिए चरागाह की प्राप्ति।
  2. जलावन के लिए लकड़ी की प्राप्ति।

प्रश्न 9.
खलिहान जलने की पहली घटना इंग्लैण्ड के किस भाग में घटित हुई?
उत्तर:
खलिहान जलने की प्रथम घटना इंग्लैण्ड के उत्तर-पश्चिम भाग में घटित हुई।

प्रश्न 10.
विश्व के किस देश को ‘रोटी की टोकरी’ कहा जाता था?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका को रोटी की टोकरी’ कहा जाता था।

प्रश्न 11.
त्रिकोणीय व्यापार में शामिल देश कौन-से थे?
उत्तर:
भारत, चीन और इंग्लैण्ड त्रिकोणीय व्यापार में शामिल देश थे।

प्रश्न 12.
अंग्रेज सरकार के सरकारी आय का प्रमुख स्रोत क्या था?
उत्तर:
भू-राजस्व अंग्रेज सरकार के सरकारी आय को प्रमुख स्रोत था।

प्रश्न 13.
18वीं सदी के अंत तक अमेरिका के कितने भू-भाग पर वन थे?
उत्तर:
18वीं सदी के अंत तक अमेरिका की 80 करोड़ एकड़ भूमि पर वन थे।

प्रश्न 14.
1830 ई. से पहले फसल की कटाई के लिए किस औजार का प्रयोग होता था?
उत्तर:
1830 ई. से पहले फसल काटने के लिए हंसिए का प्रयोग होता था।

प्रश्न 15.
प्लासी का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर:
प्लासी का युद्ध 1757 ई. में हुआ था।

प्रश्न 16.
फसल काटने की पहली मशीन किसने बनायी थी?
उत्तर:
साइरस मैक्कॉर्मिक ने सन् 1831 ई. में प्रथम फसल काटने की मशीन बनाई थी।

प्रश्न 17.
रेतीला तूफान या काला तूफान क्या है?
उत्तर:
अमेरिका में गेहूं की खेती का विस्तार 1930 ई. के दशक में भयानक रेतीले तूफानों का कारण बना। 1930 ई. के दशक में दक्षिण अमेरिकी मैदानों में आने वाली तबाही फैलाने वाले भयानक रेतीले तूफानों को ‘काला तूफान कहा गया।

प्रश्न 18.
रेतीले तूफानों के परिणाम बताइए।
उत्तर:
रेतीले तूफानों के आने से प्रभावित क्षेत्र में अँधेरा छा जाता था और ऊपर से रेत गिरता था जिससे लोग अन्धे हो जाते थे और लोगों का दम घुटने लगता था। पशु बड़ी संख्या में दम घुटने से मारे जाते थे। ट्रैक्टर और मशीने रेत के ढेरों में फंसकर इतने बेकार हो गए थे कि उनकी मरम्मत कर पाना संभव नहीं था।

प्रश्न 19.
19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में अमेरिका में गेहूँ उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अमेरिका में 19वीं शताब्दी में गेहूं उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि के लिए निम्न कारण उत्तरदायी थे-

  1. गेहूं की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि होना।
  2. अमेरिका की नगरीय जनसंख्या में तेजी से वृद्धि।
  3. निर्यात बाजार को बढ़ावा देना।

प्रश्न 20.
इंग्लैण्ड के किसान 1660 ई. के दशक में किस फसल की खेती करने लगे थे?
उत्तर:
इस अवधि में इंग्लैण्ड के कई हिस्सों में किसान शलजम और तिपतिया घास की खेती करने लगे थे। उन्हें शीघ्र ही यह एहसास हो गया कि इन दोनों फसलों की खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। साथ ही शलजम को पशु बड़े चाव से खाते थे।

प्रश्न 21.
इंग्लैण्ड के ग्रामीण लोगों ने खुले खेतों और कॉमन्स जमीनों का प्रयोग किस प्रकार किया?
उत्तर:
ऐसी सामूहिक भूमि जिस पर सभी ग्रामीणों का अधिकार होता था। यहाँ वे अपने मवेशी और भेड़ बकरियाँ चराते थे। इस भू-भाग पर वे लकड़ियाँ और कंद-मूल फल एकत्रित करते थे। वे लोग जंगल में शिकार करते तथा नदियों एवं तालाबों से मछली पकड़ने का कार्य करते थे। निर्धन वर्ग के लिए यह सामूहिक भूमि जीवन-यापन का आधारभूत साधन थी। इस भू-भाग के माध्यम से वे लोग अपनी आय बढ़ाते तथा पशुपालन करते थे।

प्रश्न 22.
खुले खेतों और कॉमन्स भूमि का आवंटन किस तरह किया जाता था?
उत्तर:
18वीं सदी के अंतिम वर्षों में इंग्लैण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत खुलापन पाया जाता था। जमीन भू-स्वामियों की निजी संपत्ति नहीं होती है और इस भूमि की बाड़ाबंदी भी नहीं की गयी थी। किसान अपने गाँवों के निकटवर्ती क्षेत्रों में कृषि कार्य करते थे। प्रत्येक वर्ष के आरंभ में एक सभा बुलाई जाती थी जिसमें गाँव के प्रत्येक व्यक्ति की भूमि के टुकड़े बाँट दिए जाते थे।

प्रश्न 23.
बंगाल और बिहार के किसानों के लिए औपनिवेशिक सरकार द्वारा आरंभ, की गयी पेशगी प्रणाली क्या थी?
उत्तर:
बंगाल व बिहार को औपनिवेशिक सरकार द्वारा अफीम की खेती करने के लिए अग्रिम धन की अदायगी की जाती थी, जिसे पेशगी कहते थे। इस पेशगी की एवज में उन्हें अफीम की खेती करने को विवश किया जाता था। इस तरह इस क्षेत्र के किसान फसल एजेंटों के अधीन हो गए।

प्रश्न 24.
अंग्रेजों द्वारा चीन में अफीम के व्यापार को चीन के लोगों पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
अंग्रेजों द्वारा चीन में अफीम का व्यापार विस्तार करने से चीन के लोग अफीम के आदी हो गए। यह अफीम की लत चीन के समाज के सभी वर्गों जैसे-दुकानदार, सरकारी कर्मचारी, सैनिक, उच्च वर्ग और भिखारियों तक में फैल गयी। 1839 ई० में कैंटन के विशेष आयुक्त लिन जेशू के अनुसार चीन में 40 लाख लोग अफीम का सेवन कर रहे थे। कैंटन में रहने वाले एक अंग्रेज डॉक्टर के अनुसार उस समय चीन में लगभग 1 करोड़ 20 लाख व्यक्ति अफीम के नशे के आदी थे।

प्रश्न 25.
भारत में अफीम के उत्पादन में वृद्धि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1767 ईo से पहले भारत से मात्र 500 पेटी अफीम निर्यात की जाती थी। अगले चार वर्ष के अंदर यह मात्रा बढ़कर 1,500 पेटी हो गयी। 1870 ई0 तक प्रतिवर्ष भारत से 50,000 पेटी अफीम निर्यात की जाने लगी। इस प्रकार जैसे-जैसे भारत से अफीम का निर्यात चीन में बढ़ता गया वैसे-वैसे, भारत में अफीम के उत्पादन में वृद्धि होती गयी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि मशीनों के विकास को किसानों पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:

  1. नवीन कृषि मशीनें कृषकों के लिए अभिशाप सिद्ध हुईं। अनेक किसानों ने इस आशा के साथ कृषि मशीनों को खरीदा कि गेहूँ के मूल्यों में तेजी बनी रहेगी। इन किसानों को बैंक सरलता पूर्वक ऋण दे देते थे। लेकिन इस ऋण को चुकाना उन किसानों के लिए कठिन होता था। बैंक ऋण समय पर न चुका पाने की स्थिति में किसान अपनी जमीनें गंवा बैठे। ऐसे में जीविकाविहीन किसानों को नए सिरे से रोजगार की तलाश करनी पड़ती थी।
  2. इस समयावधि में निर्धन किसानों को सरलता से रोजगार नहीं मिल पाता था। बिजली से चलने वाली मशीनों के प्रचलन में आने से मजदूरों की माँग अत्यधिक घट गयी थी।
  3. प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की माँग घटने लगी, लेकिन उत्पादन ज्यादा होने से बाजार गेहूँ से पट गया। फलस्वरूप गेहूं का मूल्य गिरने लगा। गेहूं का निर्यात लगभग बंद हो गया। ज्यादातर किसानों के सम्मुख ऋणग्रस्तता का संकट उपस्थित हो गया। इस मंदी का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ा। 1930 ई. की विश्वव्यापी मंदी के लिए कृषि मंदी को महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है।

प्रश्न 2.
चीन के लोगों को अफीम का आदी कैसे बनाया गया?
उत्तर:
चीन के लोग अफीम के आदी हो गए थे, इस बात से वहाँ के लोग चिंतित थे। चीन के शासकों ने औषधीय उपयोग के अतिरिक्त अफीम के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। किन्तु 18वीं सदी के मध्य में पश्चिम के व्यापारियों ने अफीम का अवैध व्यापार करना आरंभ कर दिया। चीन के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाहों पर अफीम जहाजों से उतारी जाती थी, और वहाँ से स्थानीय एजेंटों के माध्यम से देश के आंतरिक हिस्सों में इसे पहुँचाया जाता था। 1820 ई0 के दशक की शुरुआत में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 क्रेट अवैध रूप से चीन में मँगवाए जाते थे। 15 वर्ष बाद प्रतिवर्ष अफीम के लगभग 35,000 क्रेट उतारे जाने लगे थे। शीघ्र ही चीन के लगभग सभी वर्ग के लोग अफीम का सेवन करने लगे। संपन्न तो संपन्न भिखारी भी चीन में अफीम के बिना नहीं रह सकते थे। सन् 1839 तक चीन में अफीम का सेवन करने वालों की संख्या बहुत बढ़ गयी थी।

प्रश्न 3.
विशाल मैदानों का पूरा क्षेत्र ‘रेत का कटोरा’ कैसे बन गया?
उत्तर:
अमेरिका में 19वीं सदी की शुरुआत में गेहूं का उत्पादन अत्यधिक बढ़ गया था। ऐसे में किसानों ने लापरवाही से जमीन के यथासंभव हिस्से से समस्त वनस्पति को साफ कर डाली। ट्रैक्टरों की मदद से इस जमीन की मिट्टी को पलट डाला गया और मिट्टी को धूल में बदल दिया। 1930 ई0 के दशक में यह समस्त क्षेत्र विशालकाय रेत के कटोरे में रूपान्तरित हो गया था। इसके पश्चात् अमेरिका के दक्षिणी मैदानों में भयानक रेतीले तूफान आने लगे। ये तूफान 7,000 से 8,000 फुट की ऊँचाई तक के ऊपरी क्षेत्र आवृत करते हुए गतिशील होते थे। इस तरह अमेरिका का विशाल कृषि क्षेत्र के रूप में परिवर्तित होने का स्वप्न दुःस्वप्न में बदल गया।

प्रश्न 4.
त्रिकोण व्यापार का अर्थ और विकास स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी में भारत, चीन और ब्रिटेन के बीच व्यापार को त्रिकोणीय व्यापार की संख्या दी गयी है। अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी चीन से चाय और रेशम खरीद कर उसे इंग्लैण्ड में बेचती थी। जैसे-जैसे चाय लोकप्रिय पदार्थ बन गयी, चाय का व्यापार और महत्त्वपूर्ण बन गया। इस समय तक इंग्लैण्ड कोई भी ऐसी वस्तु नहीं बनाता था जिसे चीन में बेचा जा सके। ऐसी स्थिति में पश्चिमी व्यापारी चाय का व्यापार करने के लिए पैसे का प्रबन्ध नहीं कर सकते थे। वे चाय की खरीद केवल चाँदी के सिक्के (बुलियन) देकर ही कर सकते थे। इसका आशय था कि इंग्लैण्ड का खजाना एक दिन रिक्त हो जाएगा। अंततः अंग्रेजों ने यह निश्चित किया कि अफीम भारत में उगायी जाए और इसे चीन में बेचकर लाभार्जन किया जाए।

प्रश्न 5.
फसल कटाई के यंत्रों में हुए क्रान्तिकारी परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
फसल कटाई के यंत्रों में निम्नलिखित क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए-

  1. अमेरिका में 1830 ई0 के दशक से पूर्व फसल की कटाई के लिए हंसिए का प्रयोग किया जाता था।
  2. खेतों के बड़े आकार के कारण हंसिए की सहायता से फसलों को काटने के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की आवश्यकता होती थी। इस कार्य में अत्यधिक पूँजी एवं श्रम की आवश्यकता होती थी। इसलिए किसानों को फसल की कटाई के लिए मशीनों की आवश्यकता हुई।
  3. साइरस मैक्कॉर्मिक नामक व्यक्ति ने 1831 ई0 में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जो एक साथ 16 मजदूरों के बराबर कटाई कर सकती थी।
  4. 20वीं शताब्दी के आरंभ में ज्यादातर किसान गेहूँ की कटाई के लिए कंबाइंड हार्वेस्टरों का प्रयोग करने लगे। इस मशीन से 15 दिन में 500 एकड़ भूमि पर गेहूं की कटाई की जा सकती थी।

प्रश्न 6.
भारत के अफीम व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत अंग्रेजों द्वारा चीन ले जाकर बेची जाने वाली अफीम का प्रमुख स्रोत था। बंगाल विजय के बाद अंग्रेजों ने अपने कब्जे वाली भूमि पर अफीम की खेती शुरू की। जैसे-जैसे चीन में अफीम की माँग बढ़ती गयी वैसे-वैसे बंगाल के बंदरगाहों से अफीम का निर्यात बढ़ता गया। 1767 ई० से पहले भारत से केवल 500 पेटी (लगभग 2 मन) अफीम का निर्यात होता था, लेकिन 1870 ई0 तक यह निर्यात बढ़कर प्रतिवर्ष 50,000 पेटी हो गया।

प्रश्न 7.
बंगाल के अफीम व्यापार को नियंत्रित करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने क्या किया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने 1773 ई0 तक बंगाल में अफीम के व्यापार पर अधिकार कर लिया। ब्रिटिश सरकार के अलावा किसी को अफीम का व्यापार करने की अनुमति नहीं थी। ब्रिटिश सरकार अफीम को सस्ती दरों पर उत्पादित करके इसे कलकत्ता (कोलकाता) स्थित अफीम एजेंटों को ऊँचे दामों पर बेचना चाहती थी जो समुद्री जहाज के माध्यम से इसे चीन भेज सकें। अफीम पैदा करने वाले किसानों को दिया जाने वाला मूल्य इतना कम होता था कि अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में किसान बेहतर कीमत की माँग करने लगे थे और पेशगी लेने से मना करने लगे थे।

बनारस के आस-पास के क्षेत्रों में अफीम पैदा करने वाले किसानों ने अफीम की खेती बंद करने का फैसला किया। इसकी अपेक्षा वे अब गन्ने और आलू की खेती करने लगे थे। बहुत से किसानों ने अपनी फसलों को घुमंतू व्यापारियों (पैकारों) को बेच डाला था जो किसानों को बेहतर दाम देते थे। इस स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने रियासतों में तैनात अपने एजेंटों को इन व्यापारियों की अफीम जब्त करने और फसलों को नष्ट करने के आदेश दिए। जब तक अफीम का उत्पादन जारी रहा तब तक ब्रिटिश सरकार, किसानों और स्थानीय व्यापारियों के मध्य यह टकराव चलता रहा।

प्रश्न 8.
भारतीय किसान अफीम की खेती करने को कैसे तैयार हो गए?
उत्तर:

  1. अंग्रेजों ने भारतीय किसानों से अफीम की खेती करवाने के लिए उन्हें अग्रिम धन का भुगतान किया जिसे पेशगी कहते थे। इसका आशय यह है कि अंग्रेजों ने अग्रिम धन भुगतान का प्रलोभन देकर किसानों को अपने जाल में फैंसाया।
  2. उस समय बंगाल और बिहार में किसानों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक संकट से गुजर रहा था, ऐसे में पेशगी में दिए धन ने उन्हें कमजोर बनाया।
  3. 1790 ई0 के दशक में सरकार ने गाँव के मुखिया के माध्यम से किसानों को अफीम उगाने के लिए अग्रिम धनराशि (एडवांस) देनी आरंभ कर दी। इससे किसानों की ऋणग्रस्तता में कमी आई परंतु अग्रिम धनराशि लेने के पश्चात् किसान किसी अन्य व्यापारी को अपनी अफीम नहीं बेच सकते थे।
  4. एक बार फसल को बोने के उपरांत किसान का उसे फसल पर कोई अधिकार नहीं होता था। इस व्यवस्था का सबसे बुरा पक्ष यह था कि फसल के दाम भी एजेंटों द्वारा निर्धारित किए जाते थे जोकि सामान्यतः बाजार भाव से बहुत कम होते थे।

प्रश्न 9.
नवीन कृषि मशीनों से किसानों को क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
नवीन कृषि मशीनों के उपयोग से किसानों को निम्नलिखित लाभ हुए-

  1. नवीन कृषि मशीनों के उपयोग से किसानों का काफी समय बचा। उदाहरण के लिए, 4 आदमी मिलकर एक सीजन में 3,000 से 4,000 एकड़ भूमि में फसल का उत्पादन करते थे।
  2. इन मशीनों से जमीन के बड़े टुकड़ों पर फसल काटने, ढूँठ निकालने, घाट हटाने और भूमि को दोबारा खेती के लिए तैयार करने का काम बहुत आसान हो गया था।
  3. मशीनों के उपयोग से गेहूं के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई जिससे बड़े किसानों को बहुत अधिक लाभ हुआ।

प्रश्न 10.
कृषि में जुताई के यंत्रों ने क्या परिवर्तन किए?
उत्तर:
कृषि में जुताई के यंत्रों के प्रयोग से निम्नलिखित परिवर्तन आए-

  1. अमेरिकी किसान पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने के क्रम में जब पश्चिमी प्रेयरी के मध्य में पहुँचे तो उनके हल बेकार हो गए जिनका उपयोग वे पूर्वी तटीय प्रदेशों में करते आ रहे थे।
  2. प्रेयरी का प्रदेश घनी घासों से पूरी तरह ढंका हुआ था। इन घासों की जड़े अत्यन्त कठोर थीं। मिट्टी से इन घास की जड़ों को बाहर निकालने के लिए दूसरे प्रकार के हलों का विकास करना पड़ा। इनमें से कुछ हल 12 फुट तक लंबे थे। इन हलों का अग्रभाग छोटे-छोटे पहियों पर टिका हुआ था। इन हलों को खीचने के लिए अधिक शक्ति की आवश्यकता थी, अतः इन्हें 6 बैल या घोड़े खींचते थे।
  3. 20वीं शताब्दी के आगमन के साथ ही विशाल मैदानों के किसान अपने खेतों को तैयार करने के लिए ट्रैक्टरों तथा डिस्क हलों का प्रयोग करने लगे। इसके पश्चात् कृषि का पूरी तरह यंत्रीकरण हो गया।

प्रश्न 11.
किस प्रकार अमेरिका में अप्रवासियों का पश्चिम की ओर प्रसार होने के कारण अमेरिकी इण्डियनों को पूरी तरह विनाश हो गया?
उत्तर:
सन् 1775 से 1783 ई0 तक अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम चला। संयुक्त राज्य अमेरिका के गठन के बाद पूर्वी तट से देखने पर अमेरिका पूरी तरह संभावनाओं से भरपूर दिखता था। 1783 ई० तक सात लाख के लगभग श्वेत पश्चिम की ओर दरों के रास्ते अपलेशियन पठारी क्षेत्र में जाकर बस चुके थे। अमेरिका में अप्रवासियों के पश्चिम की ओर प्रसार होने के कारण अमेरिकी इंडियनों का पूरी तरह विनाश हो गया जिन्हें पहले मिसीसिपी नदी के पार और बाद में और भी पश्चिम की ओर खदेड़ दिया गया।

उन्होंने वापसी के लिए संघर्ष किया किन्तु हरा दिए गए। बहुत-सी लड़ाइयाँ लड़ी गईं जिनमें इंडियन लोगों की हत्या किया गया। उनके गाँवों को जला दिया गया और पशुओं को मार डाला गया। | उन्होंने जंगल साफ करके बनाई गई जगहों पर लकड़ी के केबिन बना लिए। फिर उन्होंने बड़े क्षेत्र में जंगलों को साफ करके खेतों के चारों ओर बाड़े लगा दीं इसके बाद इस जमीन की जुताई की और इस जमीन पर उन्होंने मक्का और गेहूँ बो दिया।

प्रश्न 12.
निर्धन लोग बाड़बंद आंदोलन से किस प्रकार प्रभावित हुए?
उत्तर:
बाड़बंद आंदोलन निर्धन लोगों के लिए अभिशाप सिद्ध हुआ क्योंकि-

  1. गरीबों को जमीन से विस्थापित कर दिया गया।
  2. अब उन्हें प्रत्येक चीज को पाने के लिए उसका मूल्य चुकाना पड़ता था।
  3. उनके पारंपरिक अधिकार छीन लिए गए।
  4. उन्हें काम की खोज करनी पड़ी।
  5. गरीब अब न तो जंगल से जलावन की लकड़ी बटोर सकते थे और न ही साझा जमीन पर अपने पशुओं को चरा सकते थे।
  6. वे न तो सेब या कंद-मूल बीन सकते थे और न ही गोश्त के लिए छोटे जानवरों का शिकार कर सकते थे।

प्रश्न 13.
पाठ्य-पुस्तक की पृष्ठ संख्या 129 का ध्यानपूर्वक अवलोकन कीजिए तथा इस चित्र के विश्लेषण पर आधारित निम्न प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 1
(क) उपर्युक्त चित्र में किस दृश्य को प्रदर्शित किया गया है?
(ख) चित्र में प्रदर्शित घटना कब घटी और इसके क्या कारण थे?
उत्तर:
(क) उपर्युक्त चित्र में काले रेतीले तूफान को दिखाया गया है। 1830 ई0 के दशक में दक्षिण अमेरिका के मैदानों में आने वाले रेतीले तूफानों को ‘काला तूफान’ कहते थे।
(ख) अमेरिका में गेहूं की खेती के लिए वनों का अंधाधुंध विनाश 1930 ई० के दशक में रेतीले तूफानों के लिए उत्तरदायी थे। 19वीं सदी की शुरुआत में महत्त्वाकांक्षी किसानों ने लापरवाही से जमीन के हर संभव हिस्से से सारी वनस्पति साफ कर डाली। ट्रैक्टरों की सहायता से इस जमीन की मिट्टी को पलट डाला और मिट्टी को धूल में बदल दिया। परिणामतः 1930 के देशक में यह सारा क्षेत्र विशालकाय रेत के कटोरे में बदल गया था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
बाड़बंदी से क्या आशय है? 18वीं सदी में इंग्लैण्ड में जमीन की बाड़बंदी क्यों की गयी?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में बाड़बंदी से 18वीं सदी में आशय उस भूमि से था जिसमें भूमि के एक टुकड़े को चारों ओर से बाड़ के माध्यम से घेरा गया हो और जिसके चारों ओर बाड़ लगाई गयी हो। ऐसा करने से एक की भूमि दूसरे से पृथक् हो जाती थी।
जमीन को अन्न के उत्पादन को बढ़ाने के लिए घेरा गया था ताकि इंग्लैण्ड की बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण-पोषण किया जा सके जो कि 1750 और 1950 के बीच के समय में चार गुना बढ़कर 1750 में 70 लाख की जनसंख्या से बढ़कर 1850 में 2 करोड़ दस लाख एवं 1900 ई० में 3 करोड़ हो गई थी। इसने जनसंख्या का पेट भरने के लिए अनाज की माँग में वृद्धि कर दी।

ब्रिटेन में औद्योगीकरण के कारण शहरी जनसंख्या में वृद्धि हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग काम की खोज में शहरों में प्रवास कर गए। जिंदा रहने के लिए उन्हें बाजार से अनाज खरीदना पड़ता था जिससे बाजारों का विस्तार हुआ और अंततः अनाज की कीमतें बढ़ गईं।
अठारहवीं सदी के अंत तक फ्रांस का इंग्लैण्ड के साथ युद्ध छिड़ चुका था। इसने यूरोप से आयात किए जाने वाले अनाज एवं व्यापार में व्यवधान डाला। अनाज के दाम बढ़ गए जिसने जमींदारों को बाड़बंदी के लिए प्रोत्साहित किया। लंबे समय के लिए जमीन में निवेश करने एवं भूमि की उर्वरता को बनाए रखने के लिए अदल-बदल कर फसल बोने की योजना बनाने के लिए बाड़बंद करना जरूरी था। इसलिए संसद ने बाड़बंदी अधिनियम पारित किया।

प्रश्न 2.
चीन के अफीम व्यापार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी के अंत तक इंग्लैण्ड में चीन की चाय व रेशम की माँग में अत्यधिक वृद्धि हो गयी थी। इंग्लैण्ड की ईस्ट इंडिया कंपनी चीन से इन वस्तुओं को खरीदकर इंग्लैण्ड में बेचा करती थी। इंग्लैण्ड में चाय की लोकप्रियता बढ़ने के साथसाथ इंग्लैण्ड में इसकी माँग तेजी से बढ़ी। 1785 ई0 के आसपास इंग्लैण्ड में 1.5 करोड़ पौंड चाय का आयात किया जा रहा था।

1830 ई0 तक आते-आते यह आँकड़ा 3 करोड़ पौंड को पार कर चुका था। वास्तव में, इस समय तक ईस्ट इंडिया कंपनी के मुनाफे का एक बहुत बड़ा हिस्सा चाय के व्यापार से पैदा होने लगा था। ईस्ट इंडिया कंपनी की मुख्य समस्या यह थी कि उसके पास चाय के आयात के बदले चीन को निर्यात करने के लिए कुछ नहीं था। अंग्रेजों को चीनी और चाय का मूल्य सोनेचाँदी में चुकाना पड़ता था। फलस्वरूप इंग्लैण्ड के सोने-चाँदी के भंडार समा; हो रहे थे। वे चाय के बदले में चीन को कोई चीज भेज कर अपने व्यापार को बनाए रखना चाहते थे। यह वस्तु अफीम के रूप में सामने आई।

चीन में सबसे पहले पुर्तगालियों ने अफीम भेजनी शुरू की थी। इसका प्रयोग मुख्यतः कुछ औषधियों में होता था। परंतु चीनी सरकार को भय था कि लोगों को धीरे-धीरे अफीम खाने की लत लग जाएगी। अतः चीनी सम्राट ने अफीम के उत्पादन तथा बिक्री पर रोक लगा दी थी। अब अंग्रेजों ने चीन में अफीम का अवैध व्यापार करने की योजना बनाई ताकि चाय पर खर्च होने वाली राशि को पूरा किया जा सके। अतः भारत में बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के पश्चात् अंग्रेजी सरकार ने वहाँ के किसानों को अफीम उगाने के लिए विवश किया। भारत में पैदा होने वाली अफीम को अंग्रेज अवैध रूप से चीन भेजने लगे।

पश्चिम के व्यापारी चीन के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाहों पर अफीम लाते थे और वहाँ से स्थानीय एजेंटों के जरिए देश के आंतरिक हिस्सों में भेज देते थे। 1820 ई० के आस-पास अफीम के लगभग 10,000 क्रेट अवैध रूप से चीन में लाए जा रहे थे। 15 साल बाद गैरकानूनी ढंग से लाए जाने वाली इस अफीम की मात्रा 35,000 क्रेट का आँकड़ा पार कर चुकी थी। इस अवैध व्यापार के कारण शीघ्र ही चीनी जनता अफीम की लत का शिकार होने लगी। चीन विश्व में अफीम का नशा करने वालों के देश के रूप में जाना जाने लगा। कैंटन शहर के निवासी एक अंग्रेज डॉक्टर के अनुसार चीन के लगभग 1 करोड़, 20 लाख लोगों को अफीम के नशे ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था।

प्रश्न 3.
संयुक्त राज्य अमेरिका में गेहूं के उत्पादन में तेजी से हुई वृद्धि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
19वीं सदी के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका के गेहूँ उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई तथा इसका वैश्विक निर्यात भी बढ़ा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विश्व बाजार में तेजी आई। रूसी गेहूँ की आपूर्ति बंद कर दी गई और अमेरिका को यूरोप के गेहूँ की आपूर्ति करनी पड़ी। अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने किसानों को गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। 1910 ई० में अमेरिका की 4.5 करोड़ एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती की जा रही थी। नौ वर्ष के बाद गेहूं उत्पाद का क्षेत्रफल लगभग 65 प्रतिशत से बढ़कर 7.4 करोड़ एकड़ हो गया था।

माँग बढ़ने के साथ गेहूँ के दामों में भी उछाल आ रहा था। इससे उत्साहित होकर किसान गेहूँ उगाने की तरफ झुकने लगे। रेलवे के प्रसार से खाद्यान्नों को गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों से निर्यात के लिए पूर्वी तट पर ले जाना आसान हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने किसानों से वक्त की पुकार सुनने का आह्वान किया‘खूब गेहूं उपजाओ। गेहूँ ही हमें जंग जिताएगा।”

1910 ई0 में अमेरिका की 4.5 करोड़ एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती की जा रही थी। नौ साल बाद 1919 ई. में गेहूँ। उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़कर 7.4 करोड़ एकड़ यानी लगभग 65 प्रतिशत ज्यादा हो गया था। इसमें से ज्यादातर वृद्धि विशाल मैदानों (ग्रेट प्लेस) में हुई थी।

प्रश्न 4.
औपनिवेशिक सरकार द्वारा आरंभ की गयी पेशगी प्रणाली का निर्धन किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा।
उत्तर:
बंगाल और बिहार में निर्धन किसानों की बहुत बड़ी जनसंख्या थी जिनके पास रोटी-कपड़ा खरीदने तथा जमींदार को लगान देने के लिए पैसों की कमी थी। 1780 ई० से ऐसे किसानों को यह जानकारी प्राप्त हुई कि गाँव का मुखिया किसानों को अफीम की खेती के लिए अग्रिम धन (पेशगी) देता है। जब किसानों को ऋण देने की पेशकश की गयी तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया क्योंकि इससे उनकी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरी करने के बाद ऋण चुका पाने की आशा बलवती हो गयी।
किसानों के सामने प्रस्तुत पेशगी प्रणाली के निम्नलिखित परिणाम हुए-

  1. उसके पास इस जमीन पर कोई दूसरी फसल उगाने का विकल्प भी नहीं था और इस फसल को सरकारी एजेंट को छोड़कर कहीं और बेचने की आजादी भी नहीं थी।
  2. उसे उसकी फसल की कम कीमत स्वीकार करनी पड़ती थी।
  3. ऋण वास्तव में किसानों को मुखिया के बंधुआ और उसके जरिए सरकार का बंधुआ बना देते थे।
  4. ऋण लेने के बाद किसान को निर्धारित क्षेत्र में अफीम बोनी पड़ती थी और पूरी फसल को एजेंटों के हवाले करना पड़ता था।

प्रश्न 5.
‘कैप्टन स्विंग आन्दोलन’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कैप्टन स्विंग आन्दोलन – मजदूरों के बढ़ते असन्तोष ने धीरे-धीरे आंदोलन का रूप धारण कर लिया। शुरुआत में यह आन्दोलन रात में किसानों के बाड़ों तथा खलिहानों में आग लगाने तक सीमित था। ईस्ट कैण्ड के मजदूरों ने 28 अगस्त, 1830 ई0 को एक श्रेसिंग मशीन को तोड़ डाला। इस घटना के बाद इंग्लैण्ड के पूर्वी तथा दक्षिणी भागों में श्रेसिंग मशीनों को तोड़ने की घटनाएँ बढ़ने लगीं। इस आंदोलन में लगभग 387 श्रेसिंग मशीनों को तोड़ा गया। किसानों को धमकी भरे पत्र भेजे गए जिनमें उनसे कहा जाता था कि वे अपनी मशीनों को स्वयं ही तोड़ दें अन्यथा आंदोलनकारी उन्हें नष्ट कर देंगे। इन पत्रों पर प्रायः ‘कैप्टन स्विंग’ नामक व्यक्ति के हस्ताक्षर होते थे। आंदोलनकारियों के संभावित आक्रमण से बचने के लिए अनेक लोगों ने अपनी मशीनों को स्वयं ही तोड़ दिया।

आंदोलन का दमन-कैप्टन स्विंग आन्दोलन के बढ़ते प्रभाव से इंग्लैण्ड की सरकार चिंतित हो उठी। सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए सख्त कार्यवाही की। जिन लोगों पर भी सरकार को शक था उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए लोगों में से 1976 लोगों पर मुकदमा चलाया गया जिनमें से 9 लोगों को फाँसी दी गई, 505 लोगों को देश निकाला दिया गया तथा अन्य लोगों को कठोर सजाएँ दी गईं परंतु ‘कैप्टन स्विंग’ सदा सरकार के लिए एक रहस्य ही बना रहा।

प्रश्न 6.
पश्चिमी अमेरिका में कृषि भूमि विस्तार और रेतीले तूफान का अन्तर्सम्बन्ध प्रकट कीजिए।
उत्तर:
कृषि भूमियों के विस्तार से पूर्व अमेरिका का अधिकांश भाग वनों एवं घास भूमियों से ढका हुआ था। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इन वनों एवं घास भूमियों को साफ करके गेहूं के खेतों में बदल दिया। इन क्षेत्रों में गेहूँ। के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई जिसके कारण अमेरिका के विशाल मैदानों को ‘रोटी का कटोरा’ कहा जाने लगा। गेहूं की खेती का विस्तार 1930 ई0 के दशक में भयानक रेतीले तूफानों का कारण बना। अमेरिका के दक्षिणी मैदानों पर भयानक रेतीले तूफान आने लगे। इन्हें काले तूफान के नाम से जाना जाने लगा। काले रेतीले तूफान 7,000 से 8,000 फुट ऊँचे होते थे। ये गंदे पानी की भीमकाय लहरों की तरह प्रकट होते थे। 1930 ई0 के दशक में ऐसे तूफान प्रतिदिन एवं प्रतिवर्ष आते थे।

जैसे ही आसमान में अंधेरा होता और रेत गिरता, रेत के कारण लोग अंधे हो जाते तथा उनका दम घुटने लगती। पशु दम घुटने के कारण मारे जाते, उनके फेफड़ों में रेत और कीचड़ भर जाता। रेत से खेतों की मेड़े (खेतों को एक-दूसरे खेत से अलग करने के लिए) गुम हो जातीं, खेत रेत से पट जाते तथा यह रेत नदी की सतह पर इस तरह जम जाती थी कि मछलियाँ साँस न ले पाने के कारण मर जाती थीं। मैदानों में चारों ओर पक्षियों और पशुओं की हड्डयाँ बिखरी दिखाई देती थीं। ट्रैक्टर और मशीनें अब रेत के ढेरों में फंस कर इतने बेकार हो गए थे कि उनकी मरम्मत भी नहीं की जा सकती थी। वर्षा में प्रतिवर्ष कमी होती गयी और लोगों को सूखे का सामना करना पड़ा। इस तरह रोटी का कटोरा शीघ्र ही धूल के कटोरे में परिवर्तित हो गया।

ये समस्त मौसमी परिवर्तन वनस्पति आवरण के समाप्त होने का परिणाम थे। किसानों ने अधिक-से-अधिक कृषि-क्षेत्र प्राप्त करने के लालच में वनस्पति के आवरण को बुरी तरह नष्ट कर दिया था। मिट्टी को उलट-पुलट दिया गया था और उसमें फैंसी घास को जड़ों से उखाड़ दिया गया था।

प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड में कृषि क्षेत्र में घटित प्रमुख परिवर्तनों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में कृषि क्षेत्र में घटित प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार हैं-
(1) कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीक का प्रयोग – निजी भूमियों की बाड़ाबंदी ने उनके विस्तार की भावना को भी प्रोत्साहित किया। किसान अपनी भूमियों को अधिक-से-अधिक बढ़ाना चाहते थे। इसका अन्य क्रारण यह भी था कि इस काल में जनसंख्या में वृद्धि के कारण गेहूँ की माँग भी तेजी से बढ़ रही थी। खेतों के आकार में वृद्धि के कारण मजदूरों की आवश्यकता भी बढ़ी। मजदूरों की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने नई-नई मशीनों का कृषि में उपयोग करना आरंभ कर दिया। इन मशीनों में ट्रैक्टरों तथा श्रेसिंग मशीनों की उल्लेखनीय भूमिका थी।

पहले गेहूं की खेती को काटने तथा उससे गेहूँ निकालने में बड़ी संख्या में मजदूरों की आवश्यकता होती थी परंतु श्रेसिंग मशीनों के उपयोग ने मजदूरों की कमी की इस समस्या को दूर कर दिया। इन मशीनों के उपयोग से जहाँ किसान ज्यादा-से-ज्यादा भूमि पर खेती करने में सफल हुए वहीं मजदूरों के रोजगार में कमी हुई। गरीब और मजदूर लोग काम की तलाश में गाँव-गाँव भटकने लगे। अनेक ीग रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने लगे जबकि कुछ लोगों ने मशीनों के उपयोग के विरुद्ध आवाज उठानी आरंभ कर दी।

(2) सरल उर्वरक तकनीकों का प्रयोग – इंग्लैण्ड में खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 19वीं सदी के मध्य तक शलजम तथा तिपतिया घास की कृषि की जाती थी। कृषि कार्य हेतु खेतों को निरंतर उपयोग में लाने से उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ती थी, इसीलिए भूमि नाइट्रोजन और उर्वरता बढ़ाने के लिए शलजम व तिपतिया घास का उपयोग किया गया। पशु भी इन्हें रुचिपूर्वक खाते थे। इस तरह किसानों को दोहरा लाभ होता था। एक ओर भूमि की उर्वरता बढ़ती साथ ही पशुओं को भी पोषण ५ मिलता था। बाड़ाबंदी आन्दोलन के उपरान्त किसान अपनी निजी भूमियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आसान तरीकों का इस्तेमाल करने लगे।

(3) कृषि का प्रारंभिक स्वरूप – 18वीं सदी के मध्य तक इंग्लैण्ड में कृषि का मूल स्वरूप पूर्ववत् बना रहा। भूमि पर भूस्वामियों का निजी स्वामित्व नहीं था और न ही खेतों की बाड़ाबंदी की गयी थी। किसान अपने गाँव के आसपास की जमीन पर फसल उगाते थे। साल की शुरुआत में एक सभा बुलाई जाती थी जिसमें गाँव के हर व्यक्ति को जमीन के टुकड़े आबंटित कर दिए जाते थे। जमीन के ये टुकड़े समान रूप से उपजाऊ नहीं होते थे और कई जगह बिखरे होते थे। कोशिश यह होती थी कि हर किसान को अच्छी और खराब, दोनों तरह की जमीन मिले।

खेती की इस जमीन के परे साझा जमीन होती थी। इस साझा जमीन पर सभी गाँव वालों का हक होता था। यहाँ वे अपने पशु चराते थे, जलावन की लकड़ियाँ और कंदमूल फल आदि । इकट्ठा करते थे। यह साझा भूमि गरीब व्यक्तियों की अनेक प्रकार से सहायता करती थी। किसी प्राकृतिक संकट के कारण फसल न होने की स्थिति में भी यह भूमि उन्हें तथा उनके पशुओं को जीवित रखने में सहायक होती थी।

(4) बाड़ाबंदी – इंग्लैण्ड के कुछ भागों में साझी भूमि की इस परंपरा में 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध में परिवर्तन आरंभ हो । गए। इसे काल में विश्व बाजार में ऊन की माँग में वृद्धि आरंभ हुई जिससे उसकी कीमतें बहुत तेजी से बढ़ीं। ऊन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भेड़ों की गुणवत्ता में सुधार, उचित सफाई व्यवस्था तथा अच्छे चारे की आवश्यकता पर बल दिया जाने लगा। इन्हीं मूलभूत कारणों ने किसानों को निजी खेतों एवं चरागाहों की स्थापना के लिए प्रेरित किया।

किसानों ने साझी भूमि की संकल्पना को त्यागकर साझा भूमि को काट-छाँट कर घेरना आरंभ कर दिया और इस निजी भूमि को चारों ओर से बाड़ लगाकर सुरक्षित करने लगे। इस व्यवस्था को ‘बाड़ाबंदी’ के नाम से जाना जाता है। 1750 ई० के बाद खेतों के चारों ओर बाड़ लगाने की यह परंपरा बहुत तेजी से इंग्लैण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने लगी जिसके कारण इसे ‘बाड़ाबंदी आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। 1750 ई0 से 1850 ई० के मध्य लगभग 60 लाख एकड़ भूमि पर बाड़े लगाई गईं।

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