UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Field Study

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Field Study

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Field Study (क्षेत्रीय अध्ययन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Geography. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Field Study (क्षेत्रीय अध्ययन).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography (Practical Work)
Chapter Chapter 4
Chapter Name Field Study (क्षेत्रीय अध्ययन)
Number of Questions Solved 1
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Field Study (क्षेत्रीय अध्ययन)

विस्तृत उतरीय प्रश्न

प्रश्न 1
क्षेत्रीय अध्ययन से क्या अभिप्राय है? क्षेत्र का चयन उसके लिए आवश्यक उपकरण तथा क्षेत्रीय आख्या तैयार करने की विधि समझाइए।
उत्तर

क्षेत्रीय अध्ययन का अर्थ
Meaning of Field Study

क्षेत्रीय अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य भूगोल के विद्यार्थियों को किसी क्षेत्र की वास्तविक भौगोलिक परिस्थितियों से परिचित कराना है। ऐसी बहुत-सी जानकारियाँ हैं जिन्हें पुस्तकों में तो पढ़ लिया जाता है, परन्तु उनके वास्तविक तथा प्राकृतिक स्वरूप के विषय में कोई ज्ञान उपलब्ध नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि हम मेरठ जनपद के किसी ग्राम का क्षेत्रीय सर्वेक्षण करें तथा उसकी जनसंख्या के आँकड़े, शिक्षा, व्यवसाय तथा यातायात साधनों के आँकड़े स्वयं एकत्र कर अपने अनुभव एवं पर्यवेक्षण के आधार पर इन आंकड़ों का विश्लेषण कर एक रिपोर्ट तैयार करें तो हमें उस ग्राम के विषय में एक अच्छी भौगोलिक जानकारी प्राप्त हो सकती है। इससे अन्य लोग भी लाभान्वित हो सकते हैं। इन एकत्रित किये गये आँकड़ों को सांख्यिकीय आरेखों-रेखाचित्र, दण्डाकृति तथा चक्राकृति आदि के द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं। इन आरेखों के द्वारा हम उस ग्राम की एक भौगोलिक आख्या प्रस्तुत कर सकते हैं। इस प्रकार के अध्ययनों को क्षेत्रीय अध्ययन के नाम से पुकारा जाता है।

भौतिक दृष्टिकोण से हमें धरातल पर बहुत-से परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं, अर्थात् किसी प्रदेश को धरातलीय दृष्टिकोण से पर्वतीय, पठारी एवं मैदानी भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक भौतिक प्रदेश की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों में अन्तर पाया जाता है। इन प्रदेशों की धरातलीय बनावट, जल-प्रवाह प्रणाली, जलवायु दशाएँ, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, अधिवास, व्यावसायिक संरचना, कृषि एवं उसके ढंग, सामाजिक रीति-रिवाज आदि तथ्यों में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। क्षेत्रीय सर्वेक्षण के द्वारा हम इन प्रदेशों की विभिन्नताओं का अध्ययन कर सकते हैं तथा दो विभिन्न प्रदेशों के मध्य तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कर सकते हैं।

इसके दूसरी ओर यदि किसी कस्बे अथवा नगर का अध्ययन किया जाये तो विद्यार्थियों को उनकी अनेक समस्याओं के विषय में जानकारी उपलब्ध हो सकती है। वे उसके प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों से परिचित हो सकेंगे। भूगोल का विद्यार्थी जिस क्षेत्र विशेष में निवास करता है, कम-से-कम उसे उस क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों का ज्ञान भली-भाँति होना चाहिए। प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण तथा इन दोनों के पारस्परिक सम्बन्धों के ज्ञान के लिए भौगोलिक पर्यटन अत्यन्त आवश्यक है। इन तथ्यों का अध्ययन एवं जानकारी उस क्षेत्र का भ्रमण करके ही प्राप्त की जा सकती है।

क्षेत्र का चयन
Selection of Field

भौगोलिक अध्ययन बड़े विस्तृत होते हैं। क्षेत्रीय अध्ययन के लिए निम्नलिखित में से किसी भी निकटवर्ती क्षेत्र का चयन किया जा सकता है –

  1. पर्वतीय क्षेत्र
  2. पठारी क्षेत्र
  3. ग्रामीण बस्ती
  4. नगरीय बस्ती
  5. औद्योगिक नगर
  6. धार्मिक केन्द्र
  7. बाजार केन्द्र
  8. डेल्टाई प्रदेश
  9. बहुउद्देशीय योजना
  10. मरुस्थलीय प्रदेश

इस प्रकार किसी भी एक इकाई का चयन क्षेत्रीय अध्ययन के लिए किया जा सकता है।

क्षेत्रीय अध्ययन के लिए आवश्यक उपकरण
Required Apparatus for Field Study

किसी इकाई के क्षेत्रीय अध्ययन के लिए निम्नलिखित उपकरण आवश्यक होते हैं –

  1. अभ्यास-पुस्तिका अथवा नोट बुक
  2. ड्राइंग उपकरण-पेन, पेन्सिल, रबड़, मापक, आलपिन, गोंद, ब्लेड आदि
  3. ड्राइंगशीट, ट्रेसिंग पेपर, ग्राफ पेपर आदि
  4. फीता एवं जरीब
  5. कैमरा एवं दूरबीन
  6. अधिकतम एवं न्यूनतम तापमापी
  7. चुम्बकीय दिक्सूचक-दिशा निर्धारित करने के लिए
  8. ऊँचाई ज्ञात करने का यन्त्र एल्टीमीटर तथा
  9. ठहरने एवं खाने का सामान–टेण्ट, बाल्टी, जग, गिलास आदि।

क्षेत्रीय आख्या तैयार करने की विधि
Method of Preparing the Fields Data

क्षेत्रीय सर्वेक्षण करने के पश्चात् उसकी सारगर्भित रिपोर्ट भी तैयार करनी आवश्यक होती है। यह रिपोर्ट कम-से-कम 10 पृष्ठ की अवश्य ही होनी चाहिए। एकत्रित किये गये आँकड़ों को सारणीबद्ध कर लिया जाता है। सारणीबद्ध किये गये आँकड़ों को विभिन्न विधियों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, अर्थात् इन सूचनाओं को आरेखों, लेखाचित्रों की सहायता से ड्राइंग कागज एवं ग्राफ पर प्रदर्शित करना होता है। रिपोर्ट का विवरण निम्नलिखित शीर्षकों के आधार पर दिया जाना चाहिए –

  1. क्षेत्र या प्रदेश की स्थिति, विस्तार एवं सामान्य परिचय।
  2. धरातलीय बनावट एवं जल-प्रवाह प्रणाली।
  3. जलवायु दशाएँ।
  4. प्राकृतिक वनस्पति एवं मिट्टी की संरचना।
  5. पशुपालन एवं कृषि।
  6. यातायात एवं संचार के साधन।
  7. मानव अधिवास।
  8. सामाजिक एवं सांस्कृतिक दशाएँ।
  9. जनसंख्या एवं उसकी विशेषताएँ, समस्याएँ तथा उनका समाधान।
  10. भावी विकास हेतु सुझाव।

उपर्युक्त शीर्षकों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ सारणीबद्ध किये गये आँकड़ों को ड्राइंगशीट पर मानचित्रों, चित्रों तथा आरेखों द्वारा प्रदर्शित करना चाहिए। क्षेत्र में खींची गयी फोटो को भी साथ में संलग्न करना चाहिए, जिससे रिपोर्ट को सबलता प्राप्त होगी। क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास हेतु कुछ सुझाव देना भी आवश्यक है। इससे अध्ययन रिपोर्ट की उपयोगिता का ज्ञान प्राप्त होता है।

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