UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
गद्य एवं पद्य का अन्तर दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर
वाक्यबद्ध विचारात्मक रचना को गद्य कहते हैं। दैनिक जीवन की बोलचाल में गद्य को ही प्रयोग होता है, जब कि छन्दबद्ध, भावपूर्ण और गेय रचनाएँ पद्य कहलाती हैं।
प्रश्न 2
हिन्दी की आठ बोलियाँ कौन-कौन-सी हैं ?
उत्तर
- ब्रज,
- अवधी,
- बुन्देली,
- बघेली,
- छत्तीसगढ़ी,
- हरियाणवी,
- कन्नौजी तथा
- खड़ी बोली।
प्रश्न 3
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किन भाषाओं में मिलते हैं ?
उत्तर
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषाओं में मिलते हैं।
प्रश्न 4
प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
गोकुलनाथ कृत ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और बैकुण्ठमणि कृत ‘अगहन माहात्म्य’; प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की रचनाएँ हैं।
प्रश्न 5
खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रामाणिक रचना तथा उसके लेखक का नाम व समय लिखिए।
उत्तर
रचना–गोरा बादल की कथा। लेखक–जटमल। समय–सन् 1623 ई०।
प्रश्न 6
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कौन-सी है ?
उत्तर
खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ है।
प्रश्न 7
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायकों के नाम लिखिए।
उत्तर
खड़ी बोली गद्य के दो प्रारम्भिक उन्नायक हैं—
- सदल मिश्र तथा
- पं० लल्लूलाल।
प्रश्न 8
‘अष्टयाम’ की कौन-सी भाषा है ? [2010]
उत्तर
‘अष्टयाम’ शीर्षक से चार लोगों-खुमान, हितहरिवंश, देव, नाभादास–ने रचनाएँ की हैं। ‘अष्टयाम’ की भाषा ब्रजभाषा है।
प्रश्न 9
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
कलकत्ता स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज के उन दो हिन्दी-शिक्षकों के नाम लिखिए, जिन्हें खड़ी बोली गद्य का प्रारम्भिक उन्नायक माना जाता है।
या
लल्लूलाल किस कॉलेज में हिन्दी-अध्यापक थे ? उनकी प्रसिद्ध रचना का नाम लिखिए।
या
खड़ी बोली के प्रारम्भिक उन्नायकों में विशेष रूप से जिन चार लेखकों का उल्लेख किया जाता है, उनमें से किन्हीं दो की एक-एक रचना का नाम लिखिए। [2009, 10]
उत्तर
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी एक-एक रचनाओं के नाम निम्नलिखित हैं-
- इंशा अल्ला खाँ-रानी केतकी की कहानी।।
- सदासुखलाल-सुखसागर।
- लल्लूलाल–प्रेमसागर।
- सदल मिश्र-नासिकेतोपाख्यान।।
इनमें सदल मिश्र तथा लल्लूलाल कलकत्ता के ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ में अध्यापक थे।
प्रश्न 10
भारतेन्दु युग के किन्हीं दो लेखकों की दो-दो कृतियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
(1) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र-
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति तथा
- अकबर और औरंगजेब।
(2) प्रतापनारायण मिश्र–
- हठी हम्मीर तथा
- देशी कपड़ा।
प्रश्न 11
भारतेन्दु युग से पूर्व किन दो राजाओं ने हिन्दी गद्य के निर्माण में योग दिया ?
या
हिन्दी गद्य की उर्दूप्रधान तथा संस्कृतप्रधान शैलियों के पक्षधर दो राजाओं के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु के उदय से पूर्व की खड़ी बोली के दो भिन्न शैलीकार गद्य-लेखकों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर
भारतेन्दु युग से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ ने अरबी-फारसी मिश्रित हिन्दी लिखकर तथा राजा लक्ष्मण सिंह ने संस्कृत मिश्रित खड़ी बोली को अपनाकर हिन्दी गद्य के निर्माण में योगदान दिया।
प्रश्न 12
हिन्दी गद्य के विकास में ईसाई धर्म-प्रचारकों के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
ईसाई पादरियों ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए ‘बाइबिल’ एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों का साधारण बोलचाल की हिन्दी भाषा में अनुवाद करवाया।
प्रश्न 13
भारतीय जागरण को देशव्यापी बनाने में किन संस्थाओं ने विशेष योगदान दिया ?
उत्तर
- आर्य समाज,
- प्रार्थना समाज,
- ब्रह्म समाज,
- रामकृष्ण मिशन एवं
- थियोसॉफिकल सोसाइटी।।
प्रश्न 14
भारतेन्दु के समकालीन या भारतेन्दु युग के चार गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- पं० बालकृष्ण भट्ट,
- प्रतापनारायण मिश्र,
- किशोरीलाल गोस्वामी,
- लाला श्रीनिवास दास।
प्रश्न 15
खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास कब हुआ ?
उत्तर
खड़ी बोली गद्य का व्यवस्थित विकास भारतेन्दु युग में हुआ।
प्रश्न 16
भारतेन्दु युग की दो पत्रिकाओं एवं उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु युग की दो प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर
- ‘ब्राह्मण’–प्रतापनारायण मिश्र तथा
- हिन्दी प्रदीप’-पं० बालकृष्ण भट्ट्ट।
प्रश्न 17
भारतेन्दु युग के गद्य की मुख्य विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
भारतेन्दु युग के गद्य की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- भारतेन्दु युग का गद्य सरल-सरस है,
- इसमें मुहावरों और लोकोक्तियों का अधिक प्रयोग हुआ है,
- इसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, फारसी एवं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है तथा
- इसमें व्याकरण की त्रुटियाँ हैं।
प्रश्न 18
भारतेन्दु युग में किन गद्य-विधाओं का विकास हुआ ?
उत्तर
भारतेन्दु युग में नाटक, कहानी, उपन्यास एवं निबन्ध गद्य-विधाओं का विकास हुआ।
प्रश्न 19
निम्नलिखित में से किन्हीं दो पत्रिकाओं के सम्पादकों के नाम लिखिए
(1) आनन्द कादम्बिनी,
(2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका,
(3) नया जीवन।
या
‘आनन्द कादम्बिनी’ के सम्पादक कौन थे? [2017]
उत्तर
(1) आनन्द कादम्बिनी – सम्पादक : बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’।
(2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका – सम्पादक : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र।
(3) नया जीवन – सम्पादक : कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।
प्रश्न 20
द्विवेदी युग के दो प्रमुख लेखकों की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध निबन्धकारों (लेखकों) के नाम लिखिए।
उत्तर
- बाबू श्यामसुन्दर दास-साहित्यालोचन।
- आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी–रसज्ञ-रंजन।
प्रश्न 21
द्विवेदी युग में प्रकाशित चार पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
- सरस्वती,
- मर्यादा,
- माधुरी तथा
- इन्दु।।
प्रश्न 22
22 द्विवेदी युग का समय बताइए और उस व्यक्ति का पूरा नाम बताइए, जिसके कारण इसे ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है।
उत्तर
द्विवेदी युग का समय सन् 1900 ई० से 1920 ई० तक है। इस युग को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के नाम पर ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है।
प्रश्न 23
द्विवेदी युग के हिन्दी गद्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग का हिन्दी गद्य व्याकरण-सम्मत, परिमार्जित तथा पद-विन्यास व वाक्य-विन्यास से युक्त है। इसमें औदात्य, पाण्डित्य एवं प्रवाह है। इसकी भाषा-शैली अत्यन्त परिष्कृत, सामासिक तथा प्रवाहपूर्ण है।
प्रश्न 24
‘शुक्ल युग’ को यह नाम क्यों दिया गया है ?
या
हिन्दी-काव्य के छायावाद युग’ के समय को हिन्दी गद्य-साहित्य में शुक्ल युग’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
सन् 1919 ई० से 1938 ई० तक के काल को हिन्दी गद्य-साहित्य में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के महत्त्वपूर्ण योगदान के कारण ‘शुक्ल युग’ अथवा ‘छायावाद युग’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 25
आलोचना, नाटक, उपन्यास एवं कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध शुक्ल युग के तीन गद्य रचनाकारों के नाम बताइए।
उत्तर
शुक्ल युग के तीन प्रमुख गद्य-रचनाकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, जयशंकर प्रसाद और प्रेमचन्द हैं, जो क्रमश: आलोचना, नाटक एवं उपन्यास तथा कहानी के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 26
शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम बताइट। उत्तर जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, नन्ददुलारे वाजपेयी, महादेवी वर्मा, राय कृष्णदास, हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकार हैं।
प्रश्न 27
‘शुक्ल युग’ को अन्य किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर
शुक्ल युग को ‘छायावाद युग’, ‘प्रसाद युग’ एवं ‘प्रेमचन्द युग’ नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 28
छायावाद युग के किन्हीं दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- चन्द्रगुप्त तथा
- अजातशत्रु।।
प्रश्न 29
छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखकों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद (चन्द्रगुप्त), प्रेमचन्द ( गबन, गोदान), बाबू गुलाबराये ( मेरी असफलताएँ) तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (चिन्तामणि) आदि छायावाद युग में गद्य को समृद्ध करने वाले प्रमुख लेखक हैं।।
प्रश्न 30
छायावादयुगीन किन्हीं दो ऐसे गद्य-लेखकों के नाम बताइए जो कवि न हों।
उत्तर
छायावादयुगीन गद्य-लेखक राहुल सांकृत्यायन एवं बाबू गुलाबराय कवि नहीं थे।
प्रश्न 31
ऐसे तीन गद्य-लेखकों के नाम लिखिए, जिन्होंने द्विवेदी युग तथा छायावाद युग दोनों में लेखन-कार्य किया।
उत्तर
द्विवेदी युग और छायावाद युग दोनों में लेखन-कार्य करने वाले तीन गद्य-लेखक हैं-
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल,
- बाबू गुलाबराय तथा
- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।
प्रश्न 32
छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
नाटक, कहानी, उपन्यास, समालोचना, जीवनी, गद्य-गीत, एकांकी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रावृत्त, संस्मरण एवं रेखाचित्र आदि छायावादोत्तर युग की प्रमुख गद्य-विधाएँ हैं।
प्रश्न 33
छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परसाई, यशपाल, रामवृक्ष बेनीपुरी, धर्मवीर भारती, विद्यानिवास मिश्र, कमलेश्वर आदि छायावादोत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखक हैं।
प्रश्न 34
मुंशी सदासुखलाल की भाषा की विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
- भाषा में अस्पष्टता अधिक है तथा
- वाक्य-रचना पर फारसी शैली का प्रभाव है।
प्रश्न 35
हिन्दी खड़ी बोली गद्य-साहित्य के विकास में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का योगदान बताइट।
या
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के गद्य की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने लोक-प्रचलित शब्दावली, कहावतों, लोकोक्तियों और मुहावरों के प्रभावपूर्ण प्रयोग से अपनी भाषा को अधिकाधिक सशक्त एवं सजीव बनाया तथा नाटक, कहानी, निबन्ध आदि अनेक गद्य-विधाओं में रचनाएँ कीं। इसलिए इन्हें ‘हिन्दी खड़ी बोली गद्य का जनक’ भी कहा जाता है।
प्रश्न 36
छायावादी युग के गद्य की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
- छायावादी युग का गद्य कलात्मक है तथा
- उसमें विशिष्ट अभिव्यंजना शक्ति, कल्पना की प्रधानता, स्वच्छन्द चेतना, अनुभूति की सघनता और भावुकता विद्यमान है।
प्रश्न 37
किन्हीं दो छायावादी पद्य-लेखकों की एक-एक गद्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
- जयशंकर प्रसाद – चन्द्रगुप्त (नाटक)।
- महादेवी वर्मा – स्मृति की रेखाएँ (संस्मरण)।
प्रश्न 38
छायावादोत्तर हिन्दी गद्य (प्रगतिवादी गद्य) की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर काल का हिन्दी गद्य सहज, व्यावहारिक और अलंकारविहीन था। उसमें भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति का स्थान चुटीली उक्तियों ने ले लिया था।
प्रश्न 39
छायावादोत्तर युग के दो कहानी लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- जैनेन्द्र कुमार तथा
- अज्ञेय।।
प्रश्न 40
छायावादोत्तर युग के दो लेखकों की एक-एक गद्य-रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ –– अर्द्धनारीश्वर।
- धर्मवीर भारती – गुनाहों के देवता।
प्रश्न 41
छायावादोत्तरयुगीन साहित्यकारों की दोनों पीढ़ियों के एक-एक साहित्यकार का नाम लिखिए।
उत्तर
- पहली पीढ़ी – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।
- दूसरी पीढ़ी – विद्यानिवास मिश्र।
प्रश्न 42
स्वातन्त्र्योत्तर युग के प्रमुख गद्य-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वातन्त्र्योत्तर युग में विद्यानिवास मिश्र, हरिशंकर परसाई, फणीश्वरनाथ रेणु’, धर्मवीर भारती, प्रभाकर माचवे, रजनी पणिक्कर, मोहन राकेश, मन्नू भण्डारी, शिवानी, नागार्जुन आदि प्रमुख गद्य-लेखक हुए।
प्रश्न 43
निम्नलिखित गद्य-लेखकों की एक-एक प्रसिद्ध गद्य-रचना का नाम लिखिए
(1) राजेन्द्र यादव तथा
(2) धीरेन्द्र वर्मा।
उत्तर
(1) लेखक-राजेन्द्र यादव, रचना-चेखव : एक इण्टरव्यू, विधा-भेटवार्ता (काल्पनिक)।
(2) लेखक-धीरेन्द्र वर्मा, रचना-मेरी कॉलेज डायरी, विधा-डायरी।
प्रश्न 44
निम्नलिखित लेखकों की एक-एक प्रसिद्ध गद्य-रचना का नाम लिखिए–
(1) महादेवी वर्मा तथा
(2) लक्ष्मीचन्द्र जैन।
उत्तर
(1) लेखिका-महादेवी वर्मा, रचना–पथ के साथी; अतीत के चलचित्र; स्मृति की रेखाएँ, विधा-संस्मरण; संस्मरण/रेखाचित्र।।
(2) लेखक-लक्ष्मीचन्द्र जैन, रचना-भगवान् महावीर : एक इण्टरव्यू, विधा-भेटवार्ता (काल्पनिक)।
प्रश्न 45
निम्नलिखित लेखकों की एक-एक रचना का नाम लिखिए–
(1) विद्यानिवास मिश्र,
(2) डॉ० नगेन्द्र,
(3) हजारीप्रसाद द्विवेदी,
(4) रघुवीर सिंह।
उत्तर
(1) लेखक-विद्यानिवास मिश्र, रचना-मेरे राम का मुकुट भीग रहा है, विधा-निबन्ध।
(2) लेखक-डॉ० नगेन्द्र, रचना-हिन्दी साहित्य का बृहद् इतिहास, विधा-आलोचना।
(3) लेखक-हजारीप्रसाद द्विवेदी, रचना-कल्पलता (निबन्ध-संग्रह), विधा-निबन्ध।
(4) लेखक-रघुवीर सिंह, रचना–शेष स्मृतियाँ, विधा-संस्मरण।
प्रश्न 46
निम्नलिखित कृतियों में से किन्हीं दो कृतियों के रचनाकार और उनकी विधाओं के नाम लिखिए
(1) अतीत के चलचित्र,
(2) लहरों के राजहंस,
(3) श्रद्धा-भक्ति।
उत्तर
(1) कृति-अतीत के चलचित्र, रचनाकार-महादेवी वर्मा, विधा-रेखाचित्र।
(2) कृति-लहरों के राजहंस, रचनाकार-मोहन राकेश, विधा-नाटक।
प्रश्न 47
हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
निबन्ध, नाटक, कहानी, उपन्यास, एकांकी तथा आलोचना हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं।
प्रश्न 48
छायावादोत्तर युग में प्रारम्भ एवं समृद्ध होने वाली प्रकीर्ण गद्य-विधाओं में से किन्हीं दो विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
जीवनी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, गद्यकाव्य, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, भेटवार्ता, पत्र-साहित्य आदि हिन्दी की गौण या प्रकीर्ण गद्य-विधाएँ हैं।
प्रश्न 49
प्रकीर्ण गद्य-विधाओं का अभूतपूर्व विकास किस युग में हुआ ?
उत्तर
प्रकीर्ण गद्य-विधाओं का अभूतपूर्व विकास छायावादोत्तर युग में हुआ।
प्रश्न50
(1) भारतेन्दु युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(2) द्विवेदी युग के निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(3) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और उनके बाद के युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम लिखिए।
(4) स्वातन्त्र्योत्तर युग के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
(1) भारतेन्दु युग-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट।
(2) द्विवेदी युग-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, पद्मसिंह शर्मा, अध्यापक पूर्णसिंह।
(3) शुक्ल युग-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गुलाबराय, पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल। शुक्लोत्तर युग–डॉ० नगेन्द्र, श्रीमती महादेवी वर्मा, वासुदेवशरण अग्रवाल।
(4) स्वातन्त्र्योत्तर युग-विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय।
प्रश्न 51
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के प्रमुख कितने भेद हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर
विषय और शैली की दृष्टि से निबन्ध के प्रमुख चार भेद हैं-
- विचारात्मक निबन्ध,
- भावात्मक निबन्ध,
- वर्णनात्मक निबन्ध तथा
- विवरणात्मक निबन्ध।
प्रश्न 52
निबन्ध की परिभाषा लिखिए तथा उसके चारे भेदों में से किसी एक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
निबन्ध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के अन्तर्गत किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन; एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव, सजीवता और सम्बद्धता के साथ किया गया हो। निबन्ध का एक भेद, वर्णनात्मक निबन्ध है।
प्रश्न 53
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ किस युग में माना जाता है ? दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में निबन्ध-रचना का आरम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है। हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्धकार आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।
प्रश्न 54
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किस प्रकार के निबन्धों की रचना की ?
उत्तर
शुक्ल जी ने विचारप्रधान, समीक्षात्मक तथा मनोवैज्ञानिक निबन्धों की रचना की।
प्रश्न 55
हिन्दी के प्रमुख भावात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के भावात्मक निबन्ध लिखने वालों में वियोगी हरि, सरदार पूर्णसिंह, राय कृष्णदास, रघुवीर सिंह, महादेवी वर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी तथा विद्यानिवास मिश्र प्रमुख हैं।
प्रश्न 56
हिन्दी के दो युग-प्रवर्तक निबन्ध लेखकों और उनकी एक-एक निबन्ध पुस्तक के नाम लिखिए।
उत्तर
- श्यामसुन्दर दास-साहित्यिक लेख।
- रामचन्द्र शुक्ल–चिन्तामणि (दो भागों में)।
प्रश्न 57
प्रमुख ललित निबन्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, धर्मवीर भारती, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, विद्यानिवास मिश्र आदि ललित निबन्धों के प्रमुख लेखक हैं।
प्रश्न 58
कहानी अथवा आधुनिक कहानी किस उद्देश्य से लिखी जाती है ?
उत्तर
कहानी का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ व्यक्ति या समाज के महत्त्वपूर्ण अनुभवों, अनुभूतियों एवं यथार्थ की कलात्मक अभिव्यक्ति करना है, जब कि मानव-जीवन की कुण्ठाओं, भटकाव, संत्रास, दिशाहीनता और यान्त्रिक जड़ता का यथार्थ और मार्मिक चित्रण करना आधुनिक कहानी के अन्यतमे उद्देश्य हैं।
प्रश्न 59
कहानी के कौन-कौन से तत्त्व होते हैं ?
उत्तर
कहानी के सात तत्त्व होते हैं—
- शीर्षक,
- कथावस्तु या कथानक,
- पात्र और चरित्र-चित्रण,
- कथोपकथन या संवाद,
- देशकाल या वातावरण,
- भाषा-शैली तथा
- उद्देश्य।
प्रश्न 60
कहानी की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
- लघु कथानक,
- पात्र एवं चरित्र-चित्रण,
- मुख्य रूप से एक ही विषय, भाव अथवा संवेदना का प्रस्तुतीकरण तथा
- निश्चित उद्देश्य-कहानी की मुख्य विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 61
नयी कहानी की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर
नयी कहानी जीवन के किसी मार्मिक तथ्य को नाटकीय प्रभाव के साथ व्यक्त करती है तथा उसमें यथार्थता एवं मनोवैज्ञानिकता होती है।
प्रश्न 62
हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी का नाम बताइए। [2009]
उत्तर
कहानी-कला की दृष्टि से किशोरीलाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’ हिन्दी-साहित्य की प्रथम मौलिक कहानी है।
प्रश्न 63
आधुनिक युग की किन्हीं दो महिला कथाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
- मन्नू भण्डारी तथा
- उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 64
द्विवेदी युग के किन्हीं दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर
- रामचन्द्र शुक्ल तथा
- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी।
प्रश्न 65
हिन्दी के प्रमुख कहानीकारों के नाम बताइट।
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, भगवतीचरण वर्मा, यशपाल, चतुरसेन शास्त्री, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, शैलेश मटियानी, मन्नू भण्डारी, अज्ञेय आदि हिन्दी के प्रमुख कहानीकार हैं।
प्रश्न 66
प्रेमचन्द जी की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर
मन्त्र, ईदगाह, कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दारोगा आदि प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं।
प्रश्न 67
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर
आकाशदीप, पुरस्कार, ममता, आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कहानियाँ हैं।
प्रश्न 68
प्रेमचन्दोत्तर किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रेमचन्दोत्तर कथाकारों में यशपाल एवं जैनेन्द्र कुमार प्रमुख हैं।
प्रश्न 69
हिन्दी के दो कहानी-संग्रहों और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी कहानियों के दो संग्रहों के नाम हैं-‘आकाशदीप’ तथा ‘ज्ञानदान’। इनके लेखकों के नाम क्रमशः हैं—जयशंकर प्रसाद तथा यशपाल।
प्रश्न 70
प्रेमचन्द के समकालीन कहानीकारों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर
राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह एवं विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ प्रेमचन्द के समकालीन कहानीकार थे। इनकी कहानियों में क्रमशः ‘कानों में कॅगना’ एवं ‘कलाकार का दण्ड’ लोकप्रिय हैं।
प्रश्न 71
आधुनिक युग के किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्द के बाद के किन्हीं दो प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो कहानी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
जैनेन्द्र कुमार, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि आधुनिक युग के प्रसिद्ध कहानीकार हैं।
प्रश्न 72
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार जयशंकर प्रसाद थे।
प्रश्न 73
स्वतन्त्रता के पश्चात् के प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के पश्चात् के प्रमुख कहानीकारों में विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, मोहन राकेश, निर्मल वर्मा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न 74
हिन्दी के कहानी लेखकों में से किन्हीं दो की एक-एक कहानी का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के कहानी लेखकों में प्रेमचन्द एवं जयशंकर प्रसाद की एक-एक कहानियाँ क्रमशः ‘नमक का दारोगा’ एवं ‘पुरस्कार’ हैं।
प्रश्न 75
हिन्दी के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम बताइए।
उत्तर
प्रेमचन्द, भगवतीचरण वर्मा, वृन्दावनलाल वर्मा, यशपाल, जैनेन्द्र कुमार, चतुरसेन शास्त्री, सुदर्शन, इलाचन्द्र जोशी, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, राजेन्द्र यादव, उदयशंकर भट्ट, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि।
प्रश्न 76
हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यास एवं उसके लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर
लाला श्रीनिवास दास द्वारा लिखित परीक्षा-गुरु’ नामक उपन्यास, हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास है।
प्रश्न 77
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के दो प्रमुख उपन्यासकार हैं—
- किशोरीलाल गोस्वामी तथा
- अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’।।
प्रश्न 78
प्रेमचन्द युग के दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
- प्रेमचन्द तथा
- पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’।
प्रश्न 79
मुंशी प्रेमचन्द के प्रमुख उपन्यासों के नाम लिखिए। या प्रेमचन्द के दो प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम लिखिए। [2010, 12]
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द ने गोदान, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रेमाश्रम, सेवासदन, निर्मला आदि उपन्यासों की रचना की।
प्रश्न 80
जयशंकर प्रसाद के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर
‘कंकाल’ और ‘तितली’।
प्रश्न 81
आधुनिक काल की दो महिला उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
- शिवानी तथा
- उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 82
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
फणीश्वरनाथ रेणु’, रांगेय राघव, हिमांशु जोशी, नागार्जुन, अमृतलाल नागर, देवेन्द्र सत्यार्थी और शिवप्रसाद सिंह।
प्रश्न 83
प्रेमचन्द के बाद होने वाले आधुनिक युग के प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
या
आधुनिक युग के किन्हीं दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, जैनेन्द्र कुमार, उपेन्द्रनाथ अश्क’, मोहन राकेश, इलाचन्द्र जोशी, डॉ० धर्मवीर भारती, अमृतलाल नागर, विष्णु प्रभाकर, रांगेय राघव, भगवतीचरण वर्मा आदि प्रेमचन्द के पश्चात् होने वाले प्रमुख उपन्यासकार हैं।
प्रश्न 84
‘उपन्यास’ और ‘कहानी’ का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कहानी का रचना-फलक आकार में छोटा होता है, जबकि उपन्यास का पर्याप्त विस्तृत। कहानी में प्राय: किसी एक घटना अथवा मनोदशा का वर्णन होता है, जबकि उपन्यास में समग्र मानव-जीवन से सम्बन्धित विविध घटनाओं का समावेश किया जाता है।
प्रश्न 85
उपन्यास का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर
उपन्यास का शाब्दिक अर्थ है-सामने रखना। इसमें ‘प्रसादन’ अर्थात् प्रसन्न करने का भाव भी निहित है। अत: किसी घटना को इस प्रकार सामने रखना कि दूसरों को प्रसन्नता हो, उपन्यस्त करना कहा जाएगा।
प्रश्न 86
उपन्यास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
हिन्दी में उपन्यास को अंग्रेजी के नॉवेल शब्द का पर्याय माना जाता है। उपन्यास गद्य की वह विधा है, जिसमें जीवन का व्यापक चित्रण रोचक एवं सजीव शैली में किया गया हो।
प्रश्न 87
उपन्यास को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यासों को निम्नलिखित आठ भागों में विभाजित किया जा सकता है—
- सामाजिक,
- राजनीतिक,
- ऐतिहासिक,
- पौराणिक,
- मनोवैज्ञानिक,
- आंचलिक,
- तिलिस्मी/जासूसी,
- क्रान्तिकारी आदि।
प्रश्न 88
हिन्दी के दो प्रसिद्ध उपन्यासकारों एवं उनके उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के दो उपन्यासकारों एवं उनके उपन्यासों के नाम निम्नलिखित हैं
- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी–बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्रलेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा।
- श्री भगवतीचरण वर्मा–चित्रलेखा, भूले-बिसरे चित्र, तीन वर्ष, टेढ़े-मेढ़े रास्ते।
प्रश्न 89
हिन्दी के प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार एवं उनके उपन्यासों के नाम निम्नलिखित हैं
- जैनेन्द्र कुमार-परख, सुनीता, त्यागपत्र आदि।।
- इलाचन्द्र जोशी–जहाज का पंछी, घृणापथ आदि।
- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’–शेखर : एक जीवनी (दो भाग), नदी के द्वीप आदि।
प्रश्न 90
भारतीय और पाश्चात्य दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए।
उत्तर
भारतीय आचार्यों ने नाटकों के पाँच तत्त्व माने हैं—
- वस्तु,
- नेता,
- रस,
- अभिनय एवं
- वृत्ति।
पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छः तत्त्व स्वीकार किये हैं—
- कथावस्तु,
- पात्र एवं चरित्र-चित्रण,
- कथोपकथन,
- देशकाल,
- भाषा-शैली एवं
- उद्देश्य।।
प्रश्न 91
नाटक श्रव्य-काव्य है अथवा दृश्य-काव्य ?
उत्तर
नाटक दृश्य-काव्य है।
प्रश्न 92
हिन्दी के प्रथम नाटक एवं उसके रचयिता का नाम लिखिए। [2014]
उत्तर
गोपालचन्द्र गिरिधरदास द्वारा रचित ‘नहुष’ को हिन्दी का प्रथम नाटक माना जाता है।
प्रश्न 93
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, लक्ष्मीनारायण मिश्र, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।
प्रश्न 94
भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अतिरिक्त बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’, लाला श्रीनिवास दास आदि के नाम प्रमुख हैं।।
प्रश्न 95
जयशंकर प्रसाद के समकालीन प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद के समकालीन नाटककारों में प्रमुख हैं—
- हरिकृष्ण ‘प्रेमी’,
- लक्ष्मीनारायण मिश्र,
- गोविन्दवल्लभ पन्त,
- सेठ गोविन्ददास आदि।
प्रश्न 96
जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर
चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, राज्यश्री तथा अजातशत्रु-जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक हैं।
प्रश्न 97
प्रसादोत्तर (छायावादोत्तर) युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
या
आधुनिक काल के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर
- डॉ० रामकुमार वर्मा,
- सेठ गोविन्ददास,
- मोहन राकेश,
- विष्णु प्रभाकर,
- उपेन्द्रनाथ अश्क’,
- डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल एवं
- धर्मवीर भारती।
प्रश्न 98
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककारों एवं उनके एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
या
हिन्दी के किसी प्रसिद्ध नाटककार एवं उसके द्वारा रचित नाटक का नाम बताइट।
उत्तर
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककार और उनके एक-एक नाटक का नाम निम्नलिखित है-
- जयशंकर प्रसाद-चन्द्रगुप्त,
- हरिकृष्ण प्रेमी–रक्षाबन्धन,
- गोविन्दवल्लभ पन्त-राजमुकुट,
- सेठ गोविन्ददास–हर्ष,
- वृन्दावनलाल वर्मा–झाँसी की रानी,
- लक्ष्मीनारायण मिश्र-वत्सराज।
प्रश्न 99
हिन्दी एकांकी का जनक किसे माना जाता है ? [2011, 17]
उत्तर
हिन्दी एकांकी का आरम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की ‘अँधेर नगरी’, ‘प्रेमयोगिनी’ आदि रचनाओं से हुआ; अत: भारतेन्दु जी ही हिन्दी एकांकी के जनक हैं, किन्तु आधुनिक हिन्दी एकांकी का जनक डॉ० रामकुमार वर्मा को माना जाता है।
प्रश्न 100
हिन्दी के प्रमूख एकांकीकारों के नाम बताइए।
उत्तर
डॉ० रामकुमार वर्मा, विष्णु प्रभाकर, सेठ गोविन्ददास, उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’, विनोद रस्तोगी, जगदीशचन्द्र माथुर, उदयशंकर भट्ट, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर आदि हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार हैं।।
प्रश्न 101
छायावादोत्तर युग के किन्हीं दो एकांकीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती एवं डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल छायावादोत्तर युग के प्रमुख एकांकीकार
प्रश्न 102
आलोचना विधा के चार प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, नन्ददुलारे वाजपेयी, हजारीप्रसाद द्विवेदी, श्यामसुन्दर दास तथा डॉ० नगेन्द्र आलोचना विधा के प्रमुख लेखक हैं।
प्रश्न 103
हिन्दी गद्य की विविध विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
- नाटक,
- उपन्यास,
- एकांकी,
- कहानी,
- निबन्ध,
- आलोचना,
- आत्मकथा,
- जीवनी,
- यात्रावृत्त,
- रेखाचित्र,
- संस्मरण,
- गद्यकाव्य,
- रिपोर्ताज,
- डायरी,
- रेडियो-रूपक,
- भेटवार्ता आदि।
प्रश्न 104
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के प्रमुख आलोचना-लेखकों में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, मिश्रबन्धु, बाबू श्यामसुन्दर दास, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’, लाला भगवानदीन आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न 105
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध आलोचना-लेखक (आलोचक) कौन थे ?
उत्तर
छायावादी युग के सबसे प्रसिद्ध आलोचना-लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल थे।
प्रश्न 106
हिन्दी के दो प्रसिद्ध आलोचकों के नाम बताइए।
उत्तर
हिन्दी के दो प्रसिद्ध आलोचक हैं—
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और
- बाबू श्यामसुन्दर दास।
प्रश्न 107
आधुनिक युग के किसी प्रसिद्ध गद्य-आलोचक का नाम लिखिए।
उत्तर
आधुनिक युग में डॉ० नगेन्द्र हिन्दी के एक प्रसिद्ध गद्य-आलोचक हैं।
प्रश्न 108
शुक्लोत्तर युग के आलोचना-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० रामकुमार वर्मा, डॉ० नगेन्द्र, डॉ० रामविलास शर्मा आदि शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध आलोचना-लेखक हैं।
प्रश्न 109
‘समालोचक’ पत्र किस युग में प्रकाशित हुआ था ?
उत्तर
समालोचक’ पत्र, द्विवेदी युग में प्रकाशित हुआ था।
प्रश्न 110
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर
व्यावहारिक समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, डॉ० विनय मोहन शर्मा, डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत आदि।
प्रश्न 111
माक्र्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर
मार्क्सवादी समीक्षा के क्षेत्र में ख्यात प्रमुख आलोचक हैं-डॉ० रामविलास शर्मा, शिवदान सिंह चौहान, डॉ० विश्वम्भरनाथ उपाध्याय आदि।
प्रश्न 112
जीवनी किसे कहते हैं? हिन्दी में जीवनी-लेखन का कार्य किस युग में प्रारम्भ हुआ ?
उत्तर
किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु तक की घटनाओं के क्रमबद्ध विवरण को ‘जीवनी’ कहा जाता है। हिन्दी में जीवनी-लेखन का कार्य भारतेन्दु युग में प्रारम्भ हो चुका था।
प्रश्न 113
जीवनी लिखने वाले किसी एक लेखक तथा उसकी रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक–अमृतराय। रचना-‘कलम का सिपाही’।
प्रश्न 114
प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
बनारसीदास चतुर्वेदी, बाबू गुलाबराय, विष्णु प्रभाकर, अमृतराय आदि प्रमुख जीवनी-लेखक हैं।
प्रश्न 115
द्विवेदी युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
द्विवेदी युग के जीवनी-लेखकों में लक्ष्मीधर वाजपेयी, डॉ० सम्पूर्णानन्द, नाथूराम प्रेमी, मुकुन्दीलाल वर्मा उल्लेखनीय हैं। इस युग में ऐतिहासिक पुरुषों और धार्मिक नेताओं की जीवनियाँ लिखी गयीं।
प्रश्न 116
छायावाद युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में कैसी जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
छायावाद युग के जीवनी-लेखकों में रामनरेश त्रिपाठी, गणेश शंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्दउल्लेखनीय हैं। इस युग में राष्ट्रीय महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी गयीं।
प्रश्न 117
छायावादोत्तर युग के प्रमुख जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए। इस युग में किस प्रकार की जीवनियाँ लिखी गयीं ?
उत्तर
छायावादोत्तर युग के जीवनी-लेखकों में काका कालेलकर, रामवृक्ष बेनीपुरी, बनारसीदास चतुर्वेदी, राहुल सांकृत्यायन-विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस युग में लोकप्रिय नेताओं, सन्त-महात्माओं, विदेशी महापुरुषों, वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों और साहित्यकारों की जीवनियाँ लिखी गयीं।
प्रश्न 118
निम्नलिखित जीवनियों के लेखक कौन हैं-
(1) सुमित्रानन्दन पन्त : जीवन और साहित्य,
(2) निराला की साहित्य-साधना।
उत्तर
(1) शान्ति जोशी एवं
(2) डॉ० रामविलास शर्मा।
प्रश्न 119
छायावादोत्तर युग के दो प्रसिद्ध जीवनी-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- जैनेन्द्र कुमार तथा
- काका कालेलकर।
प्रश्न 120
आत्मकथा का अर्थ बताइए और इसकी परिभाषा दीजिए। हिन्दी में प्रथम आत्मकथा का नाम बताइट।
उत्तर
आत्मकथा का शाब्दिक अर्थ होता है-अपनी कहानी। यह लेखक का अपने जीवन से सम्बद्ध वर्णन है। अतः आत्मकथा किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा लिखा गया वह आख्यान या वृत्तान्त है जो वह बड़ी बेबाकी से अपने जीवन के बारे में प्रस्तुत करता है। जैन कवि बनारसीदास की ‘अर्द्धकथा’ को हिन्दी के आत्मकथा साहित्य की प्रथम आत्मकथा कहा जाता है।
प्रश्न 121
हिन्दी के प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
बाबू श्यामसुन्दर दास (मेरी आत्मकहानी), वियोगी हरि (मेरा जीवन प्रवाह), डॉ० राजेन्द्र प्रसाद (मेरी आत्मकथा) आदि प्रमुख आत्मकथा लेखकों के अतिरिक्त डॉ० हरिवंशराय ‘बच्चन’, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ तथा गुलाबराय आदि श्रेष्ठ आत्मकथाकार हैं।
प्रश्न 122
निम्नलिखित आत्मकथाओं के लेखकों के नाम लिखिए
(1) अपनी कहानी एवं
(2) मेरी असफलताएँ।
उत्तर
(1) वृन्दावनलाल वर्मा एवं
(2) बाबू गुलाबराय।
प्रश्न 123
आत्मकथा विधा की प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
आत्मकथा विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक हैं—
- कुछ आप बीती, कुछ जग बीती (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र),
- निज वृत्तान्त (अम्बिकादत्त व्यास),
- कल्याण का पथिक (स्वामी श्रद्धानन्द),
- मुझमें दैवी जीवन का विकास (स्वामी सत्यानन्द अग्निहोत्री),
- आपबीती ( भाई परमानन्द),
- तरुण स्वप्न (सुभाषचन्द्र बोस),
- मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू),
- सत्य की खोज (एस० राधाकृष्णन),
- आधे रास्ते और सीधी चट्टान (कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी),
- मेरी आत्मकथा (डॉ० राजेन्द्र प्रसाद),
- प्रवासी की आत्मकथा (स्वामी भवानीदयाल संन्यासी),
- स्वतन्त्रता की खोज (सत्यदेव परिव्राजक),
- साठ वर्ष : एक रेखांकन (सुमित्रानन्दन पन्त),
- परिव्राजक की प्रजा (शान्तिप्रिय द्विवेदी) आदि।
प्रश्न 124
रेखाचित्र अथवा आत्मकथा की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र—
- रेखाचित्र में कम-से-कम शब्दों के प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता को उभारा जाता है।
- रेखाचित्र में लेखक पूर्णत: तटस्थ होकर, किसी वस्तु या व्यक्ति का चित्रात्मक शैली में सजीव तथा भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है।
आत्मकथा—
- महापुरुषों द्वारा लिखी गयी आत्मकथाएँ पाठकों को उनके जीवन के आत्मीय पहलुओं से परिचय कराती हुई मार्गदर्शन करती हैं और प्रेरणा देती हैं।
- लेखक स्वयं अपने जीवन के प्रसंगों को पूर्ण निजता के साथ भावात्मक एवं रोचक शैली में प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 125
रेखाचित्र किसे कहते हैं ? इसको परिभाषित कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र साहित्य की वह गद्यात्मक विधा है, जिसमें किसी विषय-विशेष का, उसकी बाह्य विशेषताओं को उभारते और तत्सम्बन्धित विभिन्न संक्षिप्त घटनाओं को समेटते हुए शब्द-रेखाओं के माध्यम से सजीव, सरस, मर्मस्पर्शी एवं प्रभावशाली चित्र उभारा जाता है।
प्रश्न 126
किन्हीं दो रेखाचित्रकारों के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
(1) महादेवी वर्मा तथा
(2) रामवृक्ष बेनीपुरी।
प्रश्न 127
रेखाचित्र विधा में किसने लेखन प्रारम्भ किया ?
उत्तर
कुछ विद्वान् पद्मसिंह शर्मा को रेखाचित्र विधा का जनक मानते हैं, परन्तु इस विधा के नाम से इस विधा में लेखन प्रारम्भ करने का श्रेय श्रीराम शर्मा को है।
प्रश्न 128
छायावादोत्तर युग के प्रमुख रेखाचित्र विधा के लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
रेखाचित्र विधा में लिखने वाले छायावादोत्तर युग के लेखकों में उल्लेखनीय हैं—प्रकाशचन्द्र गुप्त, बनारसीदास चतुर्वेदी, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विनयमोहन शर्मा, सत्यवती मलिक, रघुवीर सहाय और डॉ० नगेन्द्र।
प्रश्न 129
संस्मरण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
संस्मरण का शाब्दिक अर्थ होता है सम्यक् स्मरण, जिसके मूल में गम्भीर चिन्तन का भाव निहित होता है। मानव-जीवन की कटु, तिक्त एवं मधुर स्मृतियाँ अनुभूति और संवेदना का संसर्ग प्राप्त करके जब हृदय से निकलती हैं तब वे संस्मरण का रूप धारण कर लेती हैं।
प्रश्न 130
संस्मरण और रेखाचित्र का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
संस्मरण में साहित्यकार अपने जीवन में आये किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित घटना को रोचक शैली में, यथार्थ रूप में और अपने व्यक्तित्व में रंगकर प्रस्तुत करता है; जैसे–महादेवी वर्मा कृत ‘प्रणाम। रेखाचित्र में लेखक कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करके किसी वस्तु या व्यक्ति का चित्रात्मक शैली में सजीव भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है; जैसे–महादेवी वर्मा कृत ‘गिल्लू’।
प्रश्न 131
‘संस्मरण’ की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
- संस्मरण में व्यक्तियों, घटनाओं अथवा दृश्यों को स्मृति के सहारे पुन: कल्पना में मूर्त किया जाता है।
- संस्मरण में लेखक तटस्थ रहने के बाद भी स्वयं को चित्रित कर देता है।
- संस्मरण व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना के वैशिष्ट्य को लक्षित करने वाला होता है।
प्रश्न 132
हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- महादेवी वर्मा तथा
- काका कालेलकर।
प्रश्न 133
हिन्दी के प्रथम संस्मरण लेखक का नाम बताइए। [2010]
उत्तर
बाबू बालमुकुन्द गुप्त ने पं० प्रतापनारायण मिश्र के संस्मरण (1907 ई०) में लिखकर इस विधा का सूत्रपात किया; परन्तु डॉ० गोविन्द त्रिगुणायत संस्मरण का प्रथम लेखक सत्यदेव परिव्राजक को स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 134
महादेवी वर्मा के कुछ संस्मरण-ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर
महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘पथ के साथी’ (संस्मरण), ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘स्मारिका’ (रेखाचित्रनुमा संस्मरण) आदि संस्मरण-ग्रन्थ हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।
प्रश्न 135
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित संस्मरणात्मक रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
‘जिन्दगी मुसकाई’, ‘माटी हो गयी सोना’ तथा ‘दीप जले शंख बजे’ प्रभाकर जी की प्रमुख संस्मरणात्मक रचनाएँ हैं।
प्रश्न 136
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
संस्मरण विधा से सम्बन्धित प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक निम्नलिखित हैं—
- मण्टो मेरा दुश्मन,
- ज्यादा अपनी कम परायी (उपेन्द्रनाथ अश्क’);
- कुछ शब्द कुछ रेखाएँ। (विष्णु प्रभाकर);
- बचपन की स्मृतियाँ,
- जिनका मैं कृतज्ञ,
- मेरे असहयोग के साथी (राहुल सांकृत्यायन);
- दस तस्वीरें,
- जिन्होंने जीना सीखा (जगदीशचन्द्र माथुर);
- स्मृति-कण,
- चेहरे जाने-पहचाने (सेठ गोविन्ददास);
- चेतना के बिम्ब (डॉ० नगेन्द्र);
- समय के पाँव (माखनलाल चतुर्वेदी);
- लोकदेव नेहरू,
- संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ (रामधारी सिंह ‘दिनकर’);
- नये-पुराने झरोखे (डॉ० हरिवंशराय बच्चन’) ।।
प्रश्न 137
‘यात्रावृत्त’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
जब कोई यात्री अपनी यात्रा के अन्तर्गत मार्ग में आने वाले विविध व्यक्तियों, स्थानों, व्यवस्थाओं आदि के अपने हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों का सूक्ष्म और सजीव वर्णन करता है, तब उसे यात्रावृत्त कहते हैं।
प्रश्न 138
हिन्दी में यात्रावृत्त लिखने का क्रम किस लेखक से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त किस गद्य-युग में लिखे गये ?
उत्तर
यात्रावृत्त लिखने का क्रम भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से प्रारम्भ हुआ तथा सर्वाधिक यात्रावृत्त छायावाद और छायावादोत्तर युग में लिखे गये।
प्रश्न 139
हिन्दी के यात्रा-साहित्य के दो प्रमुख लेखकों और उनकी एक-एक रचना के नाम लिखिए।
उत्तर
- राहुल सांकृत्यायन-घुमक्कड़शास्त्र तथा
- मोहन राकेश-आखिरी चट्टान तक।
प्रश्न 140
यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
यात्रा से जुड़ी निजी स्मृतियाँ, सहजता, सत्यता, रोचकता और सरसता यात्रावृत्त के मुख्य तत्त्व
प्रश्न 141
छायावाद युग के यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावाद युग की यात्रावृत्त विधा के प्रमुख लेखक और उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नवत् हैं-
- रामनारायण मिश्र – यूरोप यात्रा के छ: मास तथा
- राहुल सांकृत्यायन – मेरी यूरोप यात्रा, मेरी तिब्बत यात्रा।
प्रश्न 142
छायावादोत्तर युग की यात्रावृत्त विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग की प्रमुख रचनाएँ एवं उनके लेखक इस प्रकार हैं—
- घुमक्कड़शास्त्र,
- किन्नर देश में,
- हिमालय परिचय (राहुल सांकृत्यायन);
- पैरों में पंख बाँधकर,
- उड़ते चलो, उड़ते चलो (रामवृक्ष बेनीपुरी);
- वह दुनिया (भगवतशरण उपाध्याय);
- अरे यायावर रहेगा याद,
- एक बूंद सहसा उछली (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’);
- तन्त्रालोक से यन्त्रालोक तक (डॉ० नगेन्द्र);
- पृथ्वी-परिक्रमा,
- सुदूर दक्षिण में (सेठ गोविन्ददास);
- धरती गाती है (देवेन्द्र सत्यार्थी);
- तूफानों के बीच (रांगेय राघव);
- आखिरी चट्टान तक (मोहन राकेश);
- आज का जापान (भदन्त आनन्द कौसल्यायन);
- लोहे की दीवार के दोनों ओर (यशपाल);
- सुबह के रंग (अमृतराय);
- भू-स्वर्ग कश्मीर (हंसकुमार तिवारी) आदि।
प्रश्न 143
‘रिपोर्ताज’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘रिपोर्ताज’ का सम्बन्ध अंग्रेजी के ‘रिपोर्ट’ शब्द से है। रिपोर्ट सामान्य रूप में समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने तथा रेडियो-दूरदर्शन पर प्रसारित करने के लिए पत्रकार द्वारा तैयार की जाती है। यही कार्य जब सौन्दर्यचेता साहित्यकार द्वारा किया जाता है तो उसमें उसके व्यक्तित्व की विशिष्टताएँ, प्रतिक्रियाएँ और व्याख्याएँ भी समाहित हो जाती हैं। इस प्रकार साहित्यकार द्वारा विरचित घटना-विवरण ‘रिपोर्ताज’ कहलाता
प्रश्न 144
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन किस युग में हुआ ? प्रमुख रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में रिपोर्ताज लिखने का प्रचलन छायावादोत्तर युग में हुआ। प्रमुख रिपोर्ताज लेखक हैं—
- धर्मवीर भारती,
- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’,
- रांगेय राघव,
- विष्णुकान्त शास्त्री आदि।
प्रश्न 145
रिपोर्ताज विधा की हिन्दी में प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
डॉ० शिवदानसिंह चौहान विरचित ‘लक्ष्मीपुरा’ (1938 ई०) को हिन्दी गद्य-साहित्य का प्रथम रिपोर्ताज माना जाता है।
प्रश्न 146
प्रमुख रिपोर्ताज रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
रिपोर्ताज विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखक हैं–
- पहाड़ों में प्रेममयी संगीति (उपेन्द्रनाथ अश्क’);
- एक तस्वीर के दो पहलू,
- क्षण बोले कण मुसकाये,
- दिल्ली की यात्रा-स्मृतियाँ (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’);
- वे लड़ेंगे हजार साल (शिवसागर मिश्र);
- युद्ध-यात्रा (धर्मवीर भारती);
- प्लाट का मोर्चा (शमशेर बहादुर सिंह)।
प्रश्न 147
हिन्दी में डायरी विधा का आरम्भ किस युग से हुआ ? किसी डायरी लेखक की डायरी का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी में डायरी विधा का आरम्भ छायावाद युग से हुआ। डायरी लेखक-धीरेन्द्र वर्मा, रचना-मेरी कॉलेज डायरी।।
प्रश्न 148
हिन्दी की दो नवीन गद्य विधाओं व उन विधाओं के एक-एक प्रमुख लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर
- रिपोर्ताज’ हिन्दी गद्य की एक नयी विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ हैं।
- ‘डायरी’ हिन्दी की दूसरी नवीन गद्य विधा है। इस विधा के प्रमुख लेखक-धीरेन्द्र वर्मा हैं।
प्रश्न 149
डायरी विधा की प्रथम रचना का नामोल्लेख कीजिए। (2009)
उत्तर
नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ को प्रथम डायरी-लेखक माना जाता है। उनकी डायरी “नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ की जेल डायरी” का प्रकाशन 1930 ई० के आसपास माना जाता है।
प्रश्न 150
डायरी विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी गद्य की डायरी विधा के अन्तर्गत घनश्यामदास बिड़ला की डायरी के पन्ने, सुन्दरलाल त्रिपाठी की ‘दैनन्दिनी’, धीरेन्द्र वर्मा की ‘मेरी कॉलेज डायरी’ जैसी कुछ गिनी-चुनी रचनाएँ ही उपलब्ध हैं।
प्रश्न 151
छायावादोत्तर युग में डायरी विधा में लेखन करने वाले लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में इलाचन्द्र जोशी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, शमशेर बहादुर सिंह, मोहन राकेश, लक्ष्मीकान्त वर्मा, नरेश मेहता, अजित कुमार, प्रभाकर माचवे आदि की डायरियाँ प्रकाशित हुई हैं।
प्रश्न 152
‘गद्यगीत’ विधा को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘गद्यगीत’ में गद्य के माध्यम से किसी भावपूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है। उदाहरण–“मित्र! यहाँ तो सुख के साथ दु:ख लगा है, और उससे सुख को अलग कर लेने के उद्योग में भी एक सुख है।” (राय कृष्णदास)
प्रश्न 153
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
‘गद्यगीत’ अथवा ‘गद्यकाव्य’ गद्य और काव्य के बीच की विधा है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–
- इसमें अनुभूति की सघनता होती है,
- इसमें संक्षिप्तता और रहस्यमय सांकेतिकता होती है।
प्रश्न 154
गद्यगीतों का आरम्भ किस लेखक के किस ग्रन्थ से माना जाता है ?
उत्तर
गद्यगीतों का आरम्भ राय कृष्णदास के ‘साधना-संग्रह’ नामक ग्रन्थ से माना जाता है।
प्रश्न 155
‘तरंगिणी’ के लेखक तथा उसकी गद्य विधा का नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक-वियोगी हरि तथा विधा-गद्यकाव्य ।।
प्रश्न 156
हिन्दी में गद्यकाव्य की रचना करने वाले किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- राय कृष्णदास तथा
- वियोगी हरि।
प्रश्न 157
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
गद्यकाव्य विधा की प्रमुख रचनाएँ और उनके रचनाकारों के नाम हैं—
- शारदीया,
- दुपहरिया,
- वंशीरव,
- उन्मन,
- स्पन्दन (दिनेशनन्दिनी चौरडया);
- चिन्ता (सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’);
- शुभ्रा (रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’);
- आराधना (राजनारायण मेहरोत्रा ‘रजनीश’);
- श्रद्धाकण,
- तरंगिणी (वियोगी हरि);
- मरी खाल की हाय,
- जवाहर (आचार्य चतुरसेन शास्त्री);
- साहित्य देवता (माखनलाल चतुर्वेदी);
- शेष स्मृतियाँ (डॉ० रघुवीर सिंह) आदि।
प्रश्न 158
‘भेटवार्ता’ अथवा ‘साक्षात्कार’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
जब रचनाकार किसी विशिष्ट व्यक्ति से मुलाकात करके उसके व्यक्तित्व, भावों, क्रिया-कलापों आदि से सम्बन्धित साहित्य की रचना प्रश्न-उत्तर रूप में करता है, तो यह रचना ‘भेटवार्ता या साक्षात्कार कहलाती है। यह विधा वस्तुत: पत्रकारिता की देन है। यह वास्तविक भी हो सकती है और काल्पनिक भी।
प्रश्न 159
चेखव : एक इण्टरव्यू’ तथा ‘भगवान् महावीर : एक इण्टरव्यू किस विधा की रचनाएँ हैं ? इनके लेखक कौन हैं ?
उत्तर
उक्त दोनों ‘काल्पनिक भेटवार्ता’ विधा की रचनाएँ हैं। इनके लेखक क्रमश: राजेन्द्र यादव एवं लक्ष्मीचन्द जैन हैं।
प्रश्न 160
हिन्दी में भेटवार्ता विधा में लेखन का प्रारम्भ किसने किया ?
उत्तर
हिन्दी में भेटवार्ता विधा का श्रीगणेश बनारसीदास चतुर्वेदी ने जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ और प्रेमचन्द से भेंट करने के उपरान्त उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में लिखकर किया।
प्रश्न 161
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
भेटवार्ता विधा की प्रमुख रचनाएँ हैं—
- कवि दर्शन (बेनी माधव शर्मा),
- मैं इनसे मिला (दो भाग) (डॉ० पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’),
- कला के हस्ताक्षर (देवेन्द्र सत्यार्थी),
- सृजन की मनोभूमि (डॉ० रणवीर रांग्रा),
- हिन्दी कहानी और फैशन (डॉ० सुरेश सिन्हा) आदि।
प्रश्न 162
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता विधा में लेखन करने वालों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में भेटवार्ता लिखने वालों के नाम हैं—
- प्रभाकर माचवे,
- शिवदानसिंह चौहानं,
- रामचरण महेन्द्र,
- कैलाश कल्पित,
- राजेन्द्र यादव,
- लक्ष्मीचन्द्र जैन आदि।
प्रश्न 163
सन् 1947 के बाद प्रकाशित दो साहित्यिक पत्रों के संकलन के नाम तथा उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर
- ‘बड़ों के कुछ प्रेरणादायक पत्र’ – वियोगी हरि।
- “निराला के पत्र’ – जानकीवल्लभ शास्त्री।
प्रश्न 164
हिन्दी-साहित्य में पत्र-साहित्य की प्रथम रचना कौन-सी है ?
उत्तर
हिन्दी-साहित्य में प्रथम पत्र-साहित्य का प्रकाशन 1904 ई० (द्विवेदी युग) में महात्मा मुंशीराम के द्वारा ‘स्वामी दयानन्द से सम्बद्ध पत्रों के संकलन’ से हुआ था।
प्रश्न 165
छायावाद युग की पत्र-साहित्य की रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
छायावाद युग में रामकृष्ण आश्रम, देहरादून से ‘विवेकानन्द पत्रावली’ का प्रकाशन हुआ था।
प्रश्न 166
छायावादोत्तर युग की उल्लेखनीय पत्र-साहित्य रचनाओं को लिखिए।
उत्तर
छायावादोत्तर युग में प्रकाशित प्रमुख पत्र-साहित्य हैं—
- द्विवेदी पत्रावली (बैजनाथ सिंह ‘विनोद’),
- पद्मसिंह शर्मा के पत्र (बनारसीदास चतुर्वेदी),
- बड़ों के प्रेरणादायक पत्र (वियोगी हरि),
- पन्त के दो सौ पत्र बच्चन के नाम (हरिवंशराय बच्चन),
- भिक्षु के पत्र (भाग 1-2) (भदन्त आनन्द कौसल्यायन),
- यूरोप के पत्र (डॉ० धीरेन्द्र वर्मा),
- सोवियत रूस : पिता के पत्रों में (डॉ० जगदीशचन्द्र),
- लन्दन के पत्र (ब्रजमोहन लाला),
- बन्दी की चेतना (कमलापति त्रिपाठी),
- बापू के पत्र (काका कालेलकर) आदि।।
प्रश्न 167
हिन्दी के नयी पीढ़ी के चार साहित्यिक रचनाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
कमलेश्वर, हृदयेश, मनोहरश्याम जोशी तथा सुदीप नयी पीढ़ी के रचनाकार हैं।
प्रश्न 168
हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली अथवा द्विवेदी युग की सर्वाधिक प्रसिद्ध पत्रिका तथा उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग की सर्वप्रथम पत्रिका और उसके सम्पादक का नाम लिखिए। (2011)
उत्तर
पत्रिका-सरस्वती (सन् 1903 से प्रारम्भ)।।
सम्पादक–आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।
प्रश्न 169
हिन्दी की दो प्राचीन साहित्यिक पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी की दो प्राचीन साहित्यिक पत्रिकाओं के नाम हैं—
- चरित्र एवं
- वचनिका।
प्रश्न 170
हिन्दी गद्य के विकास में ‘सरस्वती’ पत्रिका के योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
‘सरस्वती’ पत्रिका के माध्यम से हिन्दी गद्य में व्याप्त व्याकरण सम्बन्धी भूलों को दूर किया गया, वाक्य-विन्यास को सुव्यवस्थित किया गया तथा लेखकों और कवियों को प्रेरणा देकर लेखन-कार्य के लिए प्रोत्साहित किया गया।
प्रश्न 171
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के दो प्रसिद्ध सम्पादकों के नाम हैं—
- आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी तथा
- श्री गणेश शंकर विद्यार्थी।
प्रश्न 172
स्वतन्त्रता के बाद प्रकाशित किन्हीं दो साहित्यिक पत्रिकाओं और उनके सम्पादकों के नाम लिखिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता के बाद प्रकाशित होने वाली हिन्दी की दो साहित्यिक पत्रिकाएँ हैं-कादम्बिनी तथा ‘धर्मयुग’। इनके सम्पादकों के नाम हैं-राजेन्द्र अवस्थी तथा धर्मवीर भारती। वर्तमान में केवल ‘कादम्बिनी’ का प्रकाशन ही हो रहा है।
प्रश्न 173
निम्नलिखित में से किन्हीं दो सम्पादकों की पत्रिकाओं के नाम लिखिए-
(1) महावीरप्रसाद द्विवेदी,
(2) श्यामसुन्दर दास,
(3) महादेवी वर्मा,
(4) धर्मवीर भारती।। [2011]
उत्तर
सम्पादक पत्रिका
(1) महावीरप्रसाद द्विवेदी – सरस्वती
(2) श्यामसुन्दर दास – नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(3) महादेवी वर्मा – चाँद
(4) धर्मवीर भारती – धर्मयुग
ध्यातव्य-हिन्दी-साहित्य की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं को युगानुसार सारणीबद्ध रूप में नीचे दिया जा रहा है-
विशेष—इस सूची में दिये गये पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक उनकी प्रकाशनावधि के दौरान बहुधा परिवर्तित होते रहते थे। प्रस्तुत सूची में रचना-धर्मिता के कारण बहुचर्चित सम्पादकों के नामों का ही उल्लेख किया जा रहा है। प्रस्तुत सूची की अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन वर्तमान में बाधित है। आजकल मात्र ‘कादम्बिनी’ तथा ‘हंस’ ही नियमित प्रकाशित हो रही हैं।
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