UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 6 प्राथमिक उपचार
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पाठ-6 प्राथमिक उपचार
अभ्यास
1. बहुविकल्पीय
प्रश्न
(1) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
(क) एक स्वस्थ व्यक्ति का औसत तापमान 98.4° फॉरेनहाइट रहता है।
(ख) जलते हुए व्यक्ति पर पानी नहीं डालना चाहिए।
(2) निम्नलिखित में सही () या गलत (✗) का चिहून लगाइए
(क) प्राथमिक चिकित्सा पेटिका में दवाएँ एवं पटियाँ इत्यादि होती हैं। ()
(ख) हमारे शरीर में लगभग 90 प्रतिशत पानी होता है। (✗)
2. अतिलघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) हड्डी की टूट कितने प्रकार की होती है? नाम लिखिए।
उत्तर : हड्डी टूट चार प्रकार की होती है
- साधारण हड्डी टूट या फ्रेक्चर। इसमें हड्डी टूटती अवश्य है परन्तु अपने स्थान पर ही रहती है।
- पच्चड़ी टूट- इसमें हड्डी के सिरे एक-दूसरे में घुस जाते हैं।
- संयुक्त टूट- इसमें हड्डी के टूटे सिरे त्वचा फाड़कर बाहर आ जाते हैं।
- कच्ची टूट- कैल्शियम की कमी से लचक आ जाती, टूटती नहीं है।
(ख) एसिड (तेजाब) से जलने पर आप क्या उपचार करेंगे?
उत्तर : यदि शरीर के किसी भाग पर तेजाब गिर पड़े तो उस भाग को तुरंत अमोनिया के घोल से धोना चाहिए। यह ध्यान रहे कि पानी से कभी नहीं धोना चाहिए।
3. लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) प्राथमिक चिकित्सा किसे कहते हैं?
उत्तर : डॉक्टर के आने से पूर्व किए जाने वाले उपचार को प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा के लिए हम प्राथमिक चिकित्सीय पेटिका’ बनाते हैं। इस पेटिका में कुछ वस्तुएँ एवं औषधियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ बाजार की एवं कुछ घरेलू सामग्री से बनी ओषधियाँ रखी होती हैं।
(ख) लू लगने के किन्हीं चार लक्षणों को लिखिए?
उत्तर : लू लगने के चार लक्षण निम्नलिखित हैं
- रोगी को बेचैनी होती है एवं शरीर का ताप वहुत बढ़ जाता है।
- चक्कर आता है, सिर में पीड़ा होती है।
- रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, प्यास अधिक लगती है।
- चेहरा लाल हो जाता है, कभी-कभी रोगी अचेत हो जाता है।
(ग) हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार क्या करेंगे?
उत्तर :
- हड्डी टूटने पर यदि उस जगह पर रक्तस्राव भी हो तो सर्वप्रथम उसे रोकना चाहिए।
- हड्डी के टूटने के स्थान को हिलाया-डुलाया न जाए।
- टूटी हुई हड्डी पर किसी पटनी से महारा लगाकर पट्टी बाँध दिया जाए।
- यदि रोगी होश में हैं तो उसे पीने के लिए गर्म दूध, चाय या कॉफी देना लाभप्रद रहता है।
4. दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न
(क) निर्जलीकरण किसे कहते हैं? लक्षण एवं उपचार लिखिए।
उत्तर : हमारे शरीर में लगभग 75 प्रतिशत पानी होती है। यदि किसी कारण शरीर में जल की कमी हो जाए तो इसे ही निर्जलीकरण कहते हैं।
ऐसा बार-बार दस्त और उल्टी होने से होता है।
लक्षण :
- शरीर का कमजोर होना, हाथ-पैर टण्डा हो जाना।
- थकान अनुभव करना
- कार्य करने की अनिच्छा
- प्यास लगना ।
उपचार :
- एक चम्मच जीवन रक्षक घोल गिलास में डालकर कई बार पीएँ।
- यदि घोल न हो तो एक गिलास में एक चम्मच चीनी और एक चुटकी नमक मिलाकर पीएँ।
(ख) बिजली से जलने पर आप क्या उपचार करेंगे? वर्णन करें?
उत्तर :
- सर्वप्रथम बिजली के मेन स्विच को बंद कर देना चाहिए। इसके पश्चात् करेन्ट लगे व्यक्ति को छुड़ाने के लिए हाथों में रबर के दस्ताने पहनकर लकड़ी की सहायता से छुड़ाना चाहिए।
- घायल व्यक्ति को कंबल ओढ़ाकर लकड़ी के तख्त पर लिटाना चाहिए।
- करेंट लगे भाग पर जलन को कम करने वाला मरहम लगाना चाहिए।
- रोगी को गर्म दूध या चाय देना चाहिए। ०. रोगी को सदमें से बचाने के लिए उसे सांत्वना दी जानी चाहिए।
- अधिक जलने की स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा के उपरांत रोगी को डॉक्टर के पास अथवा प्राथमिक
- स्वास्थ्य केन्द्र तुरंत पहुँचाना चाहिए।
प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।
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